SEBI’s New Potential Policy on Option Trading

 परिचय

वर्तमान में भारतीय शेयर बाजार में Option Trading करने वाले लाखों रिटेल ट्रेडर्स हैं। Option Trading की लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ी है। परंतु अब सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा सुझाए गए नए नियम इस पूरी तस्वीर को बदल सकते हैं। इन नियमों का उद्देश्य रिटेल ट्रेडर्स को संभावित नुकसान से बचाना है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप छोटे ट्रेडर्स और बाजार की अन्य इकाइयों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

 क्या है सेबी के Option Trading से संबंधित नए प्रस्ताव?

सेबी की एक आंतरिक समिति ने सुझाव दिया है कि Option Trading में कुछ कड़े नियम लागू किए जाएं, ताकि रिटेल ट्रेडर्स को नुकसान से बचाया जा सके। इन सुझावों में प्रमुख हैं:

1. मिनिमम कैपिटल साइज में वृद्धि: वर्तमान में डेरिवेटिव कांट्रैक्ट्स के लिए न्यूनतम पूंजी आवश्यकता 5 लाख रुपये है, जिसे बढ़ाकर 20 से 30 लाख रुपये तक किया जा सकता है। यह वृद्धि रिटेल ट्रेडर्स के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

2. साप्ताहिक एक्सपायरी का पुनर्नियोजन: फिलहाल प्रत्येक एक्सचेंज पर हफ्ते में एक बार अलग-अलग एक्सपायरी होती है। प्रस्तावित नियमों के तहत हर एक्सचेंज को केवल एक साप्ताहिक एक्सपायरी की अनुमति होगी। इसका मतलब है कि केवल एक इंडेक्स जैसे निफ्टी या बैंक निफ्टी को साप्ताहिक एक्सपायरी की अनुमति होगी।

3. स्ट्राइक प्राइसेस की सीमा: ऑप्शन चेन में चुनने के लिए उपलब्ध स्ट्राइक प्राइसेस की संख्या को कम करने का प्रस्ताव है। इससे ट्रेडर्स की संभावनाएं सीमित हो जाएंगी।

 Option Trading करने वाले रिटेल ट्रेडर्स पर प्रभाव

नए नियम लागू होने पर रिटेल ट्रेडर्स को सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है। वर्तमान में Option Trading में करीब 40-45 लाख रिटेल ट्रेडर्स सक्रिय हैं। अगर न्यूनतम पूंजी साइज को बढ़ा दिया गया, तो इनमें से अधिकांश ट्रेडर्स बाजार से बाहर हो सकते हैं। 

एक छोटे कैपिटल वाले ट्रेडर के पास बाजार में प्रवेश करने और छोटे लॉट से सीखने का अवसर होता है। लेकिन जब न्यूनतम कैपिटल की आवश्यकता बढ़ जाएगी, तो वे इस अवसर से वंचित हो जाएंगे। इसके परिणामस्वरूप नए ट्रेडर्स के लिए बाजार में प्रवेश करना मुश्किल हो जाएगा, और जो पहले से बाजार में हैं, उन्हें भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

 विशेषज्ञों की राय

हमने इस विषय पर कुछ विशेषज्ञों से बातचीत की। एक ऑप्शन बायर, विवेक ने बताया, “मैं पिछले तीन साल से Option Trading कर रहा हूं और दो साल से प्रॉफिटेबल ट्रेडिंग कर रहा हूं। मेरा कैपिटल साइज करीब 5-6 लाख रुपये है। नए नियमों से छोटे कैपिटल वाले ट्रेडर्स को बहुत दिक्कत होगी। हमें एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पर काम करना चाहिए, न कि केवल कैपिटल साइज बढ़ाना चाहिए।”

विवेक का मानना है कि कैपिटल साइज के आधार पर यह निर्णय लेना गलत है कि कौन ट्रेडिंग कर सकता है और कौन नहीं। उन्होंने कहा, “कैपिटल साइज के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि जिसके पास बड़ा कैपिटल है उसके पास ज्यादा ज्ञान है। एक बड़ा कैपिटल वाला भी गैंबलिंग अप्रोच लेकर आ सकता है और एक छोटा कैपिटल वाला भी बिजनेस अप्रोच से इसमें बढ़ सकता है।”

एक ऑप्शन सेलर, प्रफुल कुलकर्णी ने भी इस पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा, “अगर लॉट साइज बढ़ा दिया गया, तो जो लोग छोटे लॉट में ट्रेड कर रहे हैं, उन्हें बड़ी मुश्किल होगी। उनका कैपिटल तो एक लाख ही है, लेकिन लॉट साइज बढ़ने पर वे आईटीएम ऑप्शंस की बजाय ओटीएम ऑप्शंस खरीदने पर मजबूर हो जाएंगे। इसका परिणाम यह होगा कि उनकी ट्रेडिंग रणनीति और सेटअप बदल जाएगा।”

 बाजार के अन्य हितधारकों पर प्रभाव

नए नियमों से न केवल रिटेल ट्रेडर्स, बल्कि ब्रोकर्स और अन्य बाजार इकाइयों पर भी प्रभाव पड़ेगा। ब्रोकर्स का बिजनेस रिटेल ट्रेडर्स पर निर्भर करता है। अगर रिटेल ट्रेडर्स की संख्या कम हो जाती है, तो ब्रोकर्स की ब्रोकरेज आय में भी कमी आ जाएगी।

विकास गुप्ता, एक लीगल एक्सपर्ट, ने बताया, “मार्जिन बढ़ाने और लॉट साइज बढ़ाने के निर्णय से रिटेल ट्रेडर्स को बचाने का तरीका नहीं है। यह केवल ट्रेडर्स के लिए मुश्किलें बढ़ाएगा। हमें रूट कॉज पर काम करना चाहिए और ट्रेडर्स को सही जानकारी और शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।”

 निष्कर्ष

सेबी के नए प्रस्तावित नियमों का उद्देश्य रिटेल ट्रेडर्स को नुकसान से बचाना है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप उन्हें बाजार से बाहर करने का जोखिम है। यह महत्वपूर्ण है कि सेबी इन प्रस्तावों को लागू करने से पहले बाजार के सभी हितधारकों की राय ले और रिटेल ट्रेडर्स के वास्तविक मुद्दों को समझे। 

बाजार में स्थिरता और सभी ट्रेडर्स के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए हमें एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। ट्रेडर्स को सही जानकारी और शिक्षा प्रदान करके ही हम उन्हें नुकसान से बचा सकते हैं, न कि उन्हें बाजार से बाहर करके। 

सेबी को इस दिशा में सही कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भारतीय शेयर बाजार में रिटेल ट्रेडर्स की भागीदारी बनी रहे और उन्हें अपने निवेश का सही लाभ मिल सके।

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