Home Loan: अगर आपको लगता है कि फाइनेंस मेरी समझ से परे है, लेकिन कई लोगों की तरह आपका भी एक सपना है कि आपका अपना घर हो, जहां मेरे माता-पिता और आपका पूरा परिवार एक ही जगह पर एक साथ खुशी से रह सकें। लेकिन दिक्कत ये है कि घर खरीदने के लिए आपको बैंक से Home Loan लेना होगा. इसलिए लोन लेने से पहले यह सच्ची घटना और Home Loan के बारे में लिखा यह लेख पढ़ें।
मान लीजिए आपने 8% मासिक ब्याज पर 30 लाख रुपये का Home Loan लिया है, जिसकी ईएमआई 25 हजार रुपये है और लोन चुकाने की अवधि 20 साल है और आपने 5 साल तक हर महीने अपनी सभी ईएमआई समय पर जमा की हैं। तो अगर आपने इन 5 वर्षों में 15 लाख रुपये जमा किए हैं, और आपकी ऋण राशि 30 लाख रुपये थी। जिसमें से आपने 15 लाख रुपये का भुगतान कर दिया है।
अब आपके हिसाब से कितना Home Loan बाकी रहना चाहिए तो आपका जवाब होगा 15 लाख रुपये, लेकिन यहां आप गलत साबित होंगे क्योंकि जब आप लोन स्टेटमेंट देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि आप पर अभी भी 26 लाख रुपये का लोन बाकी है।
जो लोन 15 लाख बचा हुआ था वो बढ़कर 26 लाख कैसे हो गया। ये आपको समझ में नहीं आ रहा होगा कि आपका लोन इसलिए बढ़ गया है, क्योंकि जो Home Loan का ब्याज 8% था वह अब 11% का हो चुका था। जिसके कारण पैसा बढ़ चुका है और लोन चुकाने का समय भी जो पहले 15 साल बच रहा था वह बढ़कर के 28 साल हो चुका है जिसके कारण आपका लोन राशि और ब्याज मिलाकर आपको देने थे 60 लाख वो बढ़कर 84 लाख रुपया चुका है।
अब बहुत सारे लोगों को ऐसा लग सकता है, कि ये मेरे साथ गलत हुआ है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। बस आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है और लोन ऐसे ही काम करता है बस आपको कुछ विचार की जरूरत है जो आप आगे की आर्टिकल में पढ़ेंगे।आपको यह भी बता दें कि अगर आपको फाइनेंस के बारे में थोड़ी भी जानकारी है, तो उसका इस्तेमाल करके आप न सिर्फ ज्यादा भुगतान करने से बच सकते हैं बल्कि अपना ब्याज भी कम कर सकते हैं।
हाल ही में RBI ने कुछ नियम बनाए हैं जिसके चलते अब बैंक को ग्राहक को लोन के बारे में सब कुछ बताना होगा और यह क्या है, यह हम इस लेख में जानेंगे।
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सबसे पहले हम जानेंगे कि EMI क्या है, और यह कैसे काम करती है?
EMI का मतलब Equited Monthly instalment होता है, एक निश्चित रकम जो हर महीने आपके खाते से कटता रहेगा और अगर आप इसे लगातार लोन टेन्योर तक चुकाते रहेंगे तो एक दिन आपका लोन समाप्त हो जाएगा। अगर आप चाहते हैं कि मासिक ईएमआई कटते-कटते लोन अपने आप खत्म हो जाए तो इसका मतलब है कि आपको अपने Home Loan की मूल राशि खत्म करनी होगी क्योंकि ब्याज आपके मूलधन पर ही लगता है।
आपकी कटी हुई ईएमआई में से एक हिस्सा ईएमआई की मूल राशि में जाता है और दूसरा हिस्सा आपके ब्याज में जाता है। लेकिन एक सवाल यह है कि कितना प्रतिशत मूलधन में जाता है और कितना ब्याज में। अगर आप 50-50 सोच रहे हैं तो आप गलत हैं। आइए हम उसी Home Loan का उदाहरण लेते है जो हमने ऊपर की कहानी में लि है। जो Home Loan 30 लाख रुपये थी। और जिसका ब्याज 8% है, और जिसका लोन टेन्योर 20 साल था। और इसकी ईएमआई हर महीने 25000 रुपये है।
जब हम शुरू में ईएमआई देना शुरू करते हैं, तो लगभग 80% ब्याज में चला जाता है और 20% मूल राशि में चला जाता है, 14 महीने की ईएमआई चुकाने के बाद अभी अपके 3.50 लाख रुपये का भुगतान करने के बाद भी, आपने अपनी मूल राशि में से केवल 75000 रुपये का भुगतान किया है। इसका मतलब है कि आपने कुल मूल ऋण का 2.50% भुगतान किया है।इतना बेसिक में समझाने का मूल्य कारण यह है कि बहुत से लोग ऐसे हैं जिनको इन सबका बेसिक जानकारी भी नहीं होता है, इसलिए मेरा प्रयास यह है कि हर एक व्यक्ति को इसका जानकारी प्राप्त हो।
इसका मतलब ये कतई नहीं है कि जो प्रतिशत अभी आपके मूलधन में घट रहा है वही आगे समय में भी घटता रहेगा। जब आपका लोन टेन्योर का आधा(इस Home Loan में टेन्योर 20 साल का है तो इसका आधा 10 साल ) होने के बाद आपका EMI का ज्यादा प्रतिशत लोन का मूलधन में और कम प्रतिशत लोन का इन्टरेस्ट में जाएगा।
अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि हमने Home Loan जब लिया था। तो हमने बैंक के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। जिसमें लिखा था कि लोन का ब्याज 8% और ईएमआई 25000 और Home Loan की अवधि 20 साल है, तो फिर बैंक बिना हमें बताए लोन में बदलाव कैसे ला सकता है।
इसे समझने से पहले आपको फ्लोटिंग ब्याज और फिक्स्ड ब्याज के बारे में जानना होगा
अगर बैंक ने आपको बिना बताए आपके लोन का ब्याज बढ़ा दिया है, तो इसका मतलब है कि जिस समय आप Home Loan ले रहे थे, आपने फ्लोटिंग ब्याज दर का चयन किया होगा। अगर आप फ्लोटिंग ब्याज के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको रेपो रेट पता होना चाहिए।
आइए सबसे पहले रेपो रेट के बारे में जानते हैं कि रेपो रेट क्या है, रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, उस ब्याज को ही रेपो रेट कहा जाता है। इसलिए जब भी रेपो रेट बढ़ेगा या घटेगा, सभी प्रकार के ऋणों पर ब्याज में बदलाव होगा। और इसी वजह से जिनके पास फ्लोटिंग ब्याज वाला लोन होता है, उनका ब्याज बिना उनको बताए ही बढ़ जाता है।
आइए उसी लोन के उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं जो 30 लाख रुपये का था, ब्याज 8% था और लोन की अवधि 20 साल थी। और उसकी ईएमआई 25000 रुपये थी। लेकिन बैंक ने ऐसा क्यों किया कि 5 साल तक लोन चुकाने के बाद अब आपके लोन की अवधि बढ़ गई है और ब्याज भी बढ़ गया है लेकिन आपकी ईएमआई अभी भी वही है जो आप शुरू से चुका रहे हैं, और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिस समय आपने बैंक से लोन लिया था उस समय रेपो रेट कम था।
लेकिन लोन लेने के 5 साल बाद रेपो रेट बढ़ गया है। जिसके कारण बैंक ने आपकी ईएमआई बढ़ाए बिना आपके लोन का ब्याज और अवधि बढ़ा दी है क्योंकि अगर बैंक ने आपकी ईएमआई बढ़ाई होती तो आपको इसके बारे में पता हो जाता और संभव है कि आपने अपनी ईएमआई बढ़ा दी होती जिसके कारण बैंक आपसे ब्याज का लाभ कम प्राप्त होता।
अब मान लीजिए कि होम लोन लेने के बाद बैंक ने आपका ब्याज बढ़ा दिया है तो इसे ठीक करने के लिए आपके पास क्या विकल्प है?
सबसे पहले आप बैंक जाएं और बैंक से कहें कि मेरे लोन की ईएमआई बढ़ा दें लेकिन मेरे लोन की अवधि वही रखें। अगर आप चाहते हैं कि लोन की अवधि समान रहे तो आपकी ईएमआई बढ़ जाएगी और अगर आप ईएमआई को बढ़ाने के बाद उस ईएमआई को अफोड कर सकते हैं, तो आपको ईएमआई बढ़ा देनी चाहिए क्योंकि अगर आप इसे अभी 40-50 रुपये बढ़ा देंगे तो आपका भविष्य में काफी पैसा बच जाएगा।
लेकिन आपको यह भी ध्यान में रखना है की आपको अपने इनकम का ज्यादा से ज्यादा 40% आपका कुल EMI से ज्यादा नहीं होना चाहिए । ताकि आपको अपने घर चलाने में कोई परेशानी न आए। अगर हो सके तो कभी लोन का समय न बढ़ने दें उससे आपको अभी 5000 बचाने के चक्कर में फ्यूचर का 31 लाख बैंक को देना पड़ सकता है, इसलिए कभी भी अपना लोन का समय न बढ़ने दें।
और ऐसा होता है कि आगे जाकर रेपो रेट कम होता है और अगर आपको इसके बारे में कहीं से जानकारी मिलती है, तो आपको बस बैंक में जाकर एक फॉर्म भरना होगा और अपना ब्याज कम हो जाएगा।
लेकिन अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे लगता है कि वह ब्याज बढ़ाने या घटाने का झंझट नहीं चाहता तो उसे फिक्स्ड ब्याज चुनना चाहिए। क्योंकि जब आप फिक्स्ड ब्याज का चयन करते हैं, तो जब तक आपका लोन चलेगा तब तक आपको वही ब्याज देना होगा।
लेकिन जब आप निश्चित ब्याज चुनते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि इसके कुछ नुकसान भी हैं। सबसे पहले, निश्चित ब्याज पर ब्याज हमेशा फ्लोटिंग ब्याज से 1.5% या 2% अधिक होता है। और दूसरा नुकसान ये है कि लोन लेने के बाद अगर भविष्य में रेपो रेट में बदलाव होता है तो फिक्स्ड ब्याज वालों का ब्याज कम-ज्यादा नहीं हो सकता लेकिन फ्लोटिंग ब्याज वालों का ब्याज कम हो सकता है।
अब, जो मैं आपको बताने जा रहा हूं, उसके बाद आप फ्लोटिंग ब्याज और निश्चित ब्याज की चिंता किए बिना अपने लोन पर लाखों रुपये बचा सकते हैं। आइये जानते हैं कैसे?
अब हम जानेगें की Home Loan में Prepayment क्या होता है और यह कैसे काम करता है?
आप अपना Home Loan खत्म करने के लिए जो ईएमआई चुका रहे हैं, उसमें आप एक साल में 12 ईएमआई चुकाते हैं। अब आपको कुछ पैसे बचाने चाहिए और एक ईएमआई और चुकानी शुरू कर देनी चाहिए, यानी आपको एक साल में 13 ईएमआई चुकानी होंगी। इसे प्रीपेमेंट कहा जाता है। पूर्व भुगतान का लाभ यह है कि आप पूर्व भुगतान के रूप में जो भी राशि का भुगतान करते हैं वह प्रत्यक्ष ऋण की मूल राशि को कम कर देता है। और जितना संभव हो उतना पूर्व भुगतान आपको बहुत अधिक ब्याज बचाने में मदद कर सकता है।
अगर आपके Home Loan की EMI 25 हजार रुपये है और लोन की अवधि 20 साल हैऔर आपके लोन की मूल रकम 30 लाख रुपये है और उसका ब्याज 30 लाख है , यानी कुल मिलाकर आपको 60 लाख रुपये चुकाने होंगे। लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि लोन जल्द खत्म हो जाए तो आप साल में चुकाने वाली 12 EMI के साथ-साथ 1 और EMI चुकाकर करीब 3 लाख रुपये का ब्याज बचा सकते हैं।
अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है तो हम आपको बता दें कि हम पहले ही इस बारे में बात कर चुके हैं कि जब आप शुरुआत में लोन की ईएमआई भरते हैं तो ईएमआई का 20 फीसदी हिस्सा ही लोन के मूलधन में जाता है और 80 फीसदी हिस्सा ब्याज में चला जाता है और मैंने आपको यह भी बताया था कि ब्याज आपकी मूल राशि पर लगता है, इसलिए यदि हम जल्द ही मूल राशि कम कर देंगे तो लोन भी जल्दी खत्म हो जाएगा।
और अगर आप जो भी पैसा प्रीपेमेंट करते हैं, उससे सीधे तौर पर मूल राशि कम हो जाती है, इसलिए जितना अधिक आप प्रीपेमेंट करेंगे, आपका लोन उतनी ही जल्दी खत्म हो जाएगा और आपका पैसा भी बच जाएगा।यहां एक बात और ध्यान रखने वाली है कि अगर आपने अपना लोन तय ब्याज पर लिया है तो जब भी आप प्रीपेमेंट करेंगे तो आपको उसके साथ जुर्माना भी देना होगा, लेकिन फ्लोटिंग ब्याज में आपसे कोई जुर्माना नहीं लिया जाता है। इसलिए आपको लोन लेते समय सोच-समझकर लोन का चयन करें।
अब हम जानेंगे कि Home Loan पर टैक्स कैसे बचाते हैं?
जब आप लोन लेते हैं और उसकी ईएमआई चुकाते हैं तो आप धारा 80सी के तहत ईएमआई की मूल राशि और घर का रजिस्ट्रेशन कराते समय ली गई स्टंप ड्यूटी 1.5 लाख रुपये तक का दावा कर सकते हैं। और जो आप Home Loan लेने के बाद 1 साल में जितना भी इंट्रेस्ट चुके हैं उसमें से 2 लाख सैक्शन 24 में क्लेम ले सकते हैं।
आपको एक बात और बता दें कि अगर दो लोग मिलकर Home loan ले रहे हैं और दोनों आयकर दाता हैं तो दोनों अलग-अलग सेक्शन 80C और सेक्शन 24 के तहत 3.5 लाख रुपये की बचत कर सकते हैं।