SWP: How to Generate Big Monthly Income After Retirement? – Through SWP

परिचय

इस महत्वपूर्ण ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है, जहाँ हम रिटायरमेंट के बाद मासिक आय बनाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। लेकिन कैसे? SWP के ज़रिए। आप सोच रहे होंगे कि यह विषय कहाँ से आया? इसका उत्तर बहुत आसान है।

रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा हर किसी के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। चाहे आप काम से छुट्टी लेना चाहते हों, या आपके पास कोई बड़ी योजना हो, या आप अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हों, यह जानना ज़रूरी है कि आप अपनी वित्तीय स्थिति को कैसे स्थिर रख सकते हैं। इसके लिए सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान (SWP) एक कारगर उपाय हो सकता है। 

सबसे पहले, मैं बृजेश और नक्ष को उनके शानदार कमेंट्स के लिए धन्यवाद देना चाहूँगा, जिन्होंने मुझे यह ब्लॉग लिखने के लिए प्रेरित किया। अब, हम समझेंगे कि SWP क्या है और यह कैसे काम करता है।

SWP क्या है?

व्यवस्थित निकासी योजना (SWP) एक वित्तीय योजना है जो आपको नियमित अंतराल पर म्यूचुअल फंड से एक निश्चित राशि निकालने की अनुमति देती है। यह आपके निवेश को एक स्थिर आय स्रोत में बदलने का एक प्रभावी तरीका है, खासकर रिटायरमेंट के बाद। यह योजना आपके निवेश के मूल्य को प्रभावित किए बिना आपको नियमित आय प्रदान करती है।

मिस्टर चंदू का उदाहरण लें। चंदू ने अपने रिटायरमेंट के लिए एक बड़ी रकम बनाने का फैसला किया है। हर महीने वह अपने बैंक खाते से कुछ पैसे निकालता है और उसे XYZ म्यूचुअल फंड में निवेश करता है। 20 साल बाद, जब चंदू रिटायरमेंट के करीब पहुंचता है, तो उसके पास एक बड़ी रकम होती है।

अब, चंदू के पास दो विकल्प हैं:

1. लंपसम निकासी: एक ही बार में पूरा पैसा निकालना।

2. सिस्टेमैटिक विदड्रॉल प्लान (SWP): हर महीने थोड़ी-थोड़ी राशि निकालना।

SWP के ज़रिए चंदू हर महीने म्यूचुअल फंड से थोड़ी-सी रकम निकालकर अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं। इससे उन्हें रिटायरमेंट के बाद नियमित आय मिलती रहती है।

SWP कैसे काम करता है?

मान लीजिए रिटायरमेंट के समय चंदू के म्यूचुअल फंड की वैल्यू 30 लाख रुपये है और उसे हर महीने 20,000 रुपये की जरूरत है। अब अगर मई महीने में म्यूचुअल फंड की NAV 505 रुपये हो जाती है तो उसे 20,000 रुपये निकालने के लिए 39.604 यूनिट बेचनी होंगी।

इस प्रक्रिया को हर महीने दोहराते हुए, चंदू अपने फंड से नियमित आय प्राप्त करते रहते हैं। यह प्रक्रिया इस प्रकार है:

1. म्यूचुअल फंड की मूल्यांकन: सबसे पहले, अपने म्यूचुअल फंड की वर्तमान मूल्यांकन जानें। यह NAV (नेट एसेट वैल्यू) पर आधारित होता है।

2. निकासी की राशि तय करें: आपको हर महीने कितनी राशि चाहिए, इसे तय करें। हमारे उदाहरण में, यह राशि 20,000 रुपये है।

3. बेची जाने वाली यूनिट्स की गणना करें: उस महीने के NAV के आधार पर, यह गणना करें कि आपको कितनी यूनिट्स बेचनी होंगी। उदाहरण के लिए, यदि NAV 505 रुपये है, तो आपको 39.604 यूनिट्स बेचनी होंगी।

4. शेष यूनिट्स की गणना करें: हर महीने बेची गई यूनिट्स को कुल यूनिट्स से घटाकर शेष यूनिट्स की गणना करें। 

हर महीने इस प्रक्रिया को दोहराकर, चंदू नियमित आय प्राप्त करते रहते हैं और उनके फंड का मूल्य धीरे-धीरे कम होता जाता है।

SIP और SWP कब करें?

1. SIP (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान): SIP एक निवेश योजना है जो आपको नियमित अंतराल पर छोटी रकम निवेश करने की अनुमति देती है। अगर आपकी नियमित आय है, जैसे कि नौकरी या व्यवसाय से, तो एसआईपी आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। यह आपको लंबी अवधि में धन संचय करने में मदद करता है।

   उदाहरण: यदि आप नौकरी कर रहे हैं और हर महीने एक निश्चित वेतन पा रहे हैं, तो आप SIP के माध्यम से हर महीने थोड़ी-थोड़ी राशि म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। यह निवेश आपके रिटायरमेंट के लिए एक बड़ा कॉर्पस बना सकता है।

2. SWP (सिस्टेमैटिक विदड्रॉल प्लान): जब आपकी नियमित आय बंद हो जाए, जैसे कि रिटायरमेंट के बाद, तो SWP आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। यह योजना आपको नियमित अंतराल पर निश्चित राशि निकालने की अनुमति देती है, जिससे आपको रिटायरमेंट के बाद भी नियमित आय मिलती रहती है।

   उदाहरण: यदि आप रिटायर हो चुके हैं और आपके पास एक बड़ा कॉर्पस है, तो आप SWP के माध्यम से हर महीने एक निश्चित राशि निकाल सकते हैं। यह योजना आपके निवेश के मूल्य को प्रभावित किए बिना आपको नियमित आय प्रदान करती है।

इक्विटी बनाम डेट फंड्स

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए, SIP करते समय इक्विटी म्यूचुअल फंड अच्छे हो सकते हैं क्योंकि यह एक लंबी अवधि का गोल होता है। इक्विटी म्यूचुअल फंड्स का रिटर्न आमतौर पर लंबी अवधि में अच्छा होता है, जिससे आपका निवेश बढ़ सकता है।

वहीं, SWP के लिए डेट फंड्स बेहतर हो सकते हैं क्योंकि रिटायरमेंट के बाद आपकी जोखिम सहनशीलता कम होती है। डेट फंड्स का रिटर्न स्थिर होता है और इनमें जोखिम भी कम होता है। 

मेरी बचत कितने साल चलेगी?

चंदू का उदाहरण लें, उनके पास रिटायरमेंट के समय 30 लाख रुपये हैं। यदि वह हर महीने 20,000 रुपये निकालते हैं और उनका डेट फंड 5% प्रति वर्ष का रिटर्न देता है, तो 20 साल बाद उनका फंड समाप्त हो जाएगा।

इसका मतलब है कि चंदू 20 साल तक हर महीने 20,000 रुपये निकाल सकते हैं, उसके बाद उनका फंड खत्म हो जाएगा। लेकिन, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि महंगाई भी एक महत्वपूर्ण कारक है। आज 20,000 रुपये की कीमत कुछ और हो सकती है, लेकिन 10-15 साल बाद इसकी कीमत कम हो सकती है।

महंगाई का प्रभाव और इससे निपटने के उपाय

महंगाई का प्रभाव वित्तीय योजना में एक महत्वपूर्ण कारक है। आज जो राशि पर्याप्त लगती है, वह भविष्य में कम पड़ सकती है। इसलिए, महंगाई से निपटने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं:

1. अलग-अलग निवेश उपकरणों का उपयोग करें: महंगाई से निपटने के लिए, आपको अपने निवेश को अलग-अलग उपकरणों में विभाजित करना चाहिए। जैसे कि इक्विटी, डेट, रियल एस्टेट, गोल्ड आदि।

2. नियमित रूप से अपनी योजना की समीक्षा करें: समय-समय पर अपनी वित्तीय योजना की समीक्षा करें और आवश्यकतानुसार बदलाव करें।

3. बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए: अपनी मासिक निकासी राशि को समय-समय पर बढ़ाएं, ताकि महंगाई के प्रभाव को संतुलित किया जा सके।

4. अन्य आय स्रोतों की तलाश करें: रिटायरमेंट के बाद अन्य आय स्रोतों की भी तलाश करें, जैसे कि पेंशन, किराये की आय आदि।

निष्कर्ष   

रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सिस्टेमैटिक विदड्रॉल प्लान (SWP) एक प्रभावी उपकरण हो सकता है। यह योजना आपके निवेश को एक स्थिर आय स्रोत में परिवर्तित करने में मदद करती है। लेकिन, महंगाई का प्रभाव ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है और इसके लिए आपको अपनी वित्तीय योजना को नियमित रूप से समीक्षा करनी चाहिए।

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आशा है कि यह ब्लॉग आपको वित्तीय योजना बनाने में मदद करेगा और आपके रिटायरमेंट के बाद की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। यदि आपको यह ब्लॉग पसंद आया हो, तो कृपया अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि यह जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।

धन्यवाद और फिर मिलते हैं!

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