Special discussion on GST (Goods and Services Tax): From a common man’s perspective

 परिचय

आज हम बात करेंगे GST यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स की। 1 जुलाई को देश में जीएसटी लागू हुए 7 साल हो गए। इस अवसर पर हम जानेंगे कि इस दौरान जीएसटी का कलेक्शन कैसा रहा और इसके क्या प्रभाव रहे हैं।

 GST का सफर

जब जीएसटी लागू हुआ, तब से केंद्र सरकार हर महीने रिकॉर्ड कलेक्शन की घोषणा करती रही है। मंत्री ट्वीट करते थे और सरकार संदेश देती थी कि अर्थव्यवस्था अच्छी चल रही है, लोग सामान खरीद रहे हैं और सर्विसेस का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इस बार 1 जुलाई को सरकार ने कोई डेटा जारी नहीं किया, ना ही किसी ने ट्वीट किया। सिर्फ रिपोर्ट के जरिए सूत्रों ने जानकारी दी कि जून महीने में 1.74 लाख करोड़ रुपये जीएसटी कलेक्शन हुआ है। 

 GST क्या है?

GST के लागू होने से पहले देश में 13 बड़े टैक्स और 17 छोटे टैक्स थे। किसी भी सामान या सर्विस पर अलग-अलग टैक्स लगते थे। उदाहरण के लिए, किसी गाड़ी पर केंद्र सरकार सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगाती थी। फिर जब वह गाड़ी शहर में जाती थी तो वहां की नगरपालिका चुंगी लेती थी। और जब हम गाड़ी खरीदने जाते थे तो राज्य सरकार वैल्यू एडेड टैक्स (वेट) या सेल्स टैक्स लगाती थी। इन सब टैक्सों के चलते किसी भी सामान के दाम अलग-अलग जगहों पर अलग होते थे।

लेकिन GST के लागू होने से ये सभी टैक्स समाप्त हो गए और एक समान टैक्स लागू हुआ। अब किसी भी सामान या सर्विस पर जीएसटी देना होता है। जीएसटी का आईडिया “एक देश, एक टैक्स” का है, जिसे सबसे पहले एनडीए सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में लाया गया था।

 GST के फायदे

GST से ग्राहक और दुकानदार दोनों को सुविधा हुई है। ग्राहक को एक समान टैक्स दर पर सामान मिलता है और दुकानदार को सिर्फ एक ही जगह फाइलिंग करनी होती है। यह नरेंद्र मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

GST का विरोध और समाधान

जब जीएसटी लागू हुआ, तो राज्य सरकारों ने इसका विरोध किया क्योंकि उन्हें अपने टैक्स के अधिकार कम करने पड़ रहे थे। लेकिन केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को 2022 तक उनकी आमदनी की भरपाई का आश्वासन दिया। इस फार्मूले पर जीएसटी 2017 में लागू हुआ।

GST की दरें

जीएसटी के तहत विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर पांच स्लैब्स में टैक्स लगता है। यह स्लैब्स काउंसिल तय करती है, जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री और केंद्र सरकार के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। काउंसिल हर महीने या दो महीने में एक बार मिलती है और तय करती है कि किसके दाम घटाने हैं, किसके बढ़ाने हैं या स्थिर रखने हैं।

GST कलेक्शन और अर्थव्यवस्था

कोरोना वायरस के बाद अर्थव्यवस्था में गिरावट आई, जिससे जीएसटी कलेक्शन कभी ऊपर तो कभी नीचे जाता रहा। लेकिन पिछले एक साल से जीएसटी कलेक्शन स्थिर हो गया है। 

 सरकार का आंकड़ा जारी ना करने का कारण

सरकार ने इस बार जीएसटी का आंकड़ा क्यों जारी नहीं किया, इस पर अभी तक आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं है। अखबारों में छपी खबरों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, और यह फीडबैक मिला कि सरकार हर महीने जीएसटी को लेकर जश्न मनाती है, जिससे लोगों में नाराजगी है।

 सुझाव

अगर लोग जीएसटी या महंगाई से परेशान हैं, तो सरकार को उनकी आमदनी बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए या टैक्स में छूट देनी चाहिए। डेटा छुपाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। 

 निष्कर्ष

जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसे लागू करने में कई चुनौतियाँ थीं, लेकिन इसके फायदे भी अनेक हैं। सरकार को पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए और लोगों की समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए।

 अनुरोध

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