Importance of Budget: From a Common Man’s Perspective

हर साल की शुरुआत में सरकार बड़ी बिजी होती है, ताबड़तोड़ मीटिंग्स होती हैं। इंडस्ट्री और अलग-अलग तबकों के साथ वित्त मंत्री और फाइनेंस मिनिस्ट्री के अफसरों के बीच खूब मगज मारी होती है। जी हां, आप समझ ही गए होंगे कि हम Budget के बारे में बात कर रहे हैं जो हर साल 1 फरवरी को पेश होता है। इस बार भी बजट 1 फरवरी को पेश हुआ, लेकिन सरकार अब बनी है मोदी सरकार 3.0 की। इस सरकार में पूर्ण बजट जुलाई में पेश होने वाला है, हालांकि इसकी प्लानिंग और बैठकों का दौर तो अक्टूबर-नवंबर से ही शुरू हो जाता है और जनवरी में यह पूरी कवायत आखिरी चरण में पहुंच जाती है। फिर जाकर 1 फरवरी को बजट पेश होता है।

Budget क्या है और क्यों बनाया जाता है?

यूँ तो हम हर साल अखबारों में Budget से लेकर इसे पेश किए जाने की खबरें पढ़ते रहते हैं, लेकिन एक बड़ा तबका ऐसा है जिसे बजट से जुड़ी कई बातें पता नहीं होतीं। इनमें सबसे पहले बात यह होती है कि आखिर सरकार बजट लाती क्यों है? एक आम आदमी के तौर पर अगर सोचे तो मोटी बात यही दिमाग में आती है कि सरकार के पास पूरे खजाने का मालिकाना हक है। अब जहां जैसी जरूरत हो, उस हिसाब से खर्च करते जाओ। क्या फर्क पड़ता है? इतनी बड़ी कवायत करने की क्या ही जरूरत है?

तो आज बजट की यही बेसिक चीज आपको बताते हैं। आखिर Budget क्यों बनाती है सरकार? इस बात को अपने घर से ही समझिए। 

घर का Budget बनाना और सरकार का बजट

हम सभी अपनी कमाई के हिसाब से मंथली बजट तो बनाते ही हैं। यानी मान लीजिए आप हर महीने ₹1 लाख कमाते हैं, इसमें आपकी सैलरी और दूसरे खर्च के जरिए कमाई भी शामिल है। इनमें रेंटल इनकम, ब्याज वगैरह से कमाई भी शामिल होती है। अब आपकी कमाई आपको पता है जो तकरीबन तय है। अब आप महीने का बजट बनाते हैं। इसमें बच्चों की स्कूल फीस, घर का किराया, आपके लोन की ईएमआई, आवाजाही पर खर्च, बाहर खाने-पीने पर खर्च, इन्वेस्टमेंट समेत दूसरे खर्च शामिल होते हैं। आप एक मोटा सा हिसाब हर महीने बनाते हैं। कई दफा पैसा कम पड़ जाता है तो आप क्रेडिट कार्ड से खर्च करते हैं जिसे आने वाले वक्त में आप फिर चुकाते हैं।

बस केंद्र सरकार भी इसी प्रोसेस को सालाना आधार पर करती है। इसे आम Budget कहा जाता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है ताकि पूरे साल के लिए सरकार के पास कमाई और खर्चों का एक अंदाजा रहे। इससे यह भी पता चलता है कि क्या सरकार की कमाई के मुकाबले खर्च ज्यादा रहने वाले हैं और अगर ऐसा होता है तो सरकार को बाजार से कितना पैसा उधार लेना पड़ेगा।

Budget का महत्व और उसकी प्रक्रिया

अब जितनी ज्यादा उधारी, खजाने की हालत उतनी ही कमजोर। क्योंकि सरकार को भी इस उधारी पर ब्याज चुकाना पड़ता है और यह पैसा अगले वर्षों तक सरकार की जेब पर बोझ बना रहता है। सरकार की उधारी जब ज्यादा बढ़ती है तो वह आम लोगों पर भी टैक्स का बोझ बढ़ा देती है। यानी बजट में यह भी पता चलता है कि क्या सरकार लोगों पर कोई नया टैक्स लगाने जा रही है या नहीं। क्या आप पर टैक्स का बोझ कम होगा, यह भी बजट में पता चलता है। क्या सरकार बजट में कुछ रियायत देने वाली है या नहीं, यह भी Budget में सामने आता है।

सरकार अपने बजट में अनुमानित कमाई और खर्चों का दस्तावेज रखती है। सरकार बजट में अपने प्रोजेक्शन देती है यानी उसकी कमाई अगले साल मतलब वित्त वर्ष जो 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च तक जाता है, कितनी रह सकती है और उसे कहां-कहां कितना पैसा खर्च करना है। बजट पर चर्चाओं में सरकार अलग-अलग मंत्रालयों की डिमांड्स को देखती है और फिर बजट में तय होता है कि किस मंत्रालय को कितना पैसा दिया जाएगा। इस तरह से इंडस्ट्रीज भी अपनी मांगे रखती हैं, सरकार भी इन मांगों को सुनती है और कारोबार को बढ़ाने से जुड़े बजट में ऐलान कर सकती है।

सरकार की कमाई और खर्च

केंद्र सरकार की कमाई तो मोटे तौर पर टैक्स के जरिए ही होती है। कमाई का एक तरीका डिस इन्वेस्टमेंट भी है जिसे सरकार पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में स्टेक सेल करके करती है। लेकिन उसके खर्चों में भी कई चीजें शामिल होती हैं। जैसे सरकार सड़क, पुल, पोर्ट, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट बनाने जैसे कामों पर पैसा खर्च करती है। सरकार की बड़ी जिम्मेदारी कल्याणकारी योजनाओं को चलाने की भी होती है और इसमें उसका बड़ा खर्च होता है। इनमें हेल्थ सर्विसेस, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर पर, मुफ्त अनाज और सबको बीमा देने पर सरकार को पैसा खर्च करना होता है। 

Budget में नई घोषणाएं और आर्थिक नीतियां

सरकार का खर्च केंद्रीय कर्मचारी, सशस्त्र सेनाओं की सैलरी और पेंशन पर भी होता है। सरकार इसलिए भी पैसे खर्च करती है ताकि अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ सके और इस ग्रोथ में नौकरियां भी पैदा हों। हां, एक और बात समझ लीजिए, सरकार Budget के अपने टारगेट से चूकती भी है। तो आसान शब्दों में कहें तो बजट सरकार की पूरे साल की पैसों के लेन-देन की प्लानिंग का एक दस्तावेज है और इससे भी यह आईडिया मिलता है कि आने वाले साल में सरकार का फोकस किस तरफ रहने वाला है।

Budget की चर्चा और जनता का सहभागिता

बस्तक की खास सीरीज के अगले एपिसोड में Budget से जुड़ी कोई और जानकारी आपको आसान भाषा में समझाएंगे। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा, हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए। बिजनेस जगत की तमाम जानकारियों के लिए बस्तक के साथ बने रहिए। बस्तक आपके लिए लाया है प्रीमियम मेंबरशिप प्रोग्राम, जहां आपको मिलेंगे कई सारे फायदे जिनमें मार्केट न्यूज़लेटर, लाइव चैट पर आपके सवालों के सबसे पहले जवाब, मार्केट आउटलुक, वीकेंड पर मार्केट स्कैन, एंकर्स के साथ चैट और भी बहुत कुछ। इस प्रीमियम सब्सक्रिप्शन में तीन तरह के प्लान्स हैं- सिल्वर, गोल्ड और प्लैटिनम, जिनकी शुरुआत मात्र 9 महीने से होती है। इससे जुड़ना भी बेहद आसान है।

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