MS DHONI-an Indian Cricketer
MS DHONI या महेंद्र सिंह धोनी एक लेफ्टिनेंट कर्नल हैं, MS DHONI एक महान खिलाड़ी और एकमात्र ऐसे कप्तान हैं जिसने- सभी प्रारूपों में आईसीसी ट्रॉफी जीती है। वह सीमित ओवरों के प्रारूप में सर्वश्रेष्ठ ‘फिनिशर’ और सबसे तेज़ हैं। महेंद्र सिंह धोनी एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं जो भारत के एक छोटे से शहर से थे और उन्होंने दुनिया भर के लोगों को अपना दीवाना बनाया।
लेकिन ये परिचय इस कहानी के लिए काफी नहीं है. आज हम देखेंगे उनका असाधारण सफर, जिसमें उन्होंने टिकट कलेक्टर से लेकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर बनने तक संघर्ष किया। आइए महेंद्र सिंह धोनी के लगातार प्रयासों के बारे में गहराई से जानते हैं।
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प्रारंभिक जीवन और family background
MS DHONI का पालन-पोषण उत्तराखंड के एक हिंदू राजपूत परिवार में किया गया था और उनका जन्म रांची, बिहार (अब झारखंड में) में हुआ था। वह पान सिंह और देवकी देवी की तीसरी संतान और सबसे छोटे हैं। उनके माता-पिता उत्तराखंड से रांची, झारखंड चले गए, जहां उनके पिता ने जूनियर प्रबंधन पद पर पंप ऑपरेटर के रूप में रांची के डोरंडा इलाके में मेकॉन कॉलोनी में नौकरी की।
क्रिकेट खिलाड़ी बनने से पहले,MS DHONI ने अपने डीएवी जवाहर विद्या मंदिर स्कूल में फुटबॉल टीम के लिए गोलकीपर की भूमिका निभाई। हालाँकि, उनकी गोलकीपिंग क्षमता को देखने के बाद, धोनी के क्रिकेट कोच केशव रंजन बनर्जी ने उन्हें अपनी स्कूल टीम के लिए क्रिकेट खेलने के लिए चुना।
अपनी उल्लेखनीय विकेटकीपिंग क्षमताओं के कारण, वह 1995 से 1998 तक कमांडो क्रिकेट क्लब के नियमित विकेटकीपर थे। उनके क्लब क्रिकेट प्रदर्शन के आधार पर उन्हें 1997/98 सीज़न में वीनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर -16 चैम्पियनशिप के लिए चुना गया और उन्होंने वहाँ अच्छा प्रदर्शन किया।
मिदनापुर (पश्चिम) के पश्चिम बंगाली जिले में, धोनी ने 2001 से 2003 तक खड़गपुर ट्रेन स्टेशन पर दक्षिण पूर्वी ट्रेनों के लिए ट्रैवलिंग टिकट परीक्षक (टीटीई) के रूप में काम किया।
शिक्षा और फुटबॉल के प्रेमी
MS DHONI ने अपनी स्कूली शिक्षा डीएवी जवाहर विद्या मंदिर, रांची, बिहार (अब झारखंड में) से प्राप्त की। उन्हें बचपन से ही खेलने का शौक था। उन्होंने फुटबॉल और बैडमिंटन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
गोलकीपर से विकेटकीपर तक
स्कूल के दिनों में उन्हें क्रिकेट इतना पसंद नहीं था। लेकिन वे पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के बहुत बड़े प्रशंसक थे। उन्हें बचपन से ही फुटबॉल खेलने का शौक था। माही अपने स्कूल की फुटबॉल टीम के सर्वोत्तम गोलकीपर थे। माही ने कम उम्र में ही रांची जिले के स्तर पर फुटबॉल खेलना शुरू किया था।
उनकी शानदार गोलकीपिंग से प्रभावित होकर एक क्रिकेट क्लब ने माही से संपर्क किया। उन्हें अपनी क्रिकेट टीम में विकेटकीपर के रूप में शामिल होने की पेशकश की गई। एमएस धोनी क्रिकेट टीम में शामिल होकर उन्हें क्रिकेट का जुनून हो गया।
धोनी के कोच उनके विकेटकीपिंग कौशल से बहुत प्रभावित थे, और इसी कारण वह कमांडो क्रिकेट क्लब में नियमित विकेटकीपर बन गए। इसी से उनका क्रिकेट का असली सफर शुरू हुआ।
क्रिकेट से प्यार होने लगा
क्रिकेट का प्यार धीरे-धीरेMS DHONI के दिल में बढ़ता गया। उन्होंने तीन साल तक एक क्लब में खेला। उनकी रूचि बल्लेबाजी में बढ़ी और वे अब एक बेहतरीन बल्लेबाज बन गए। उनके छक्कों की खामोशी ने उन्हें क्लब, स्कूल और अन्य क्लबों में लोकप्रियता दिलाई। 1997-98 में, उन्हें अंडर-16 चैंपियनशिप के लिए चुना गया।इसी समय, धोनी ने रेलवे की परीक्षा दी और उनका चयन हो गया। 2001 में, उन्हें खड़गपुर रेलवे में टीटीई (ट्रैवलिंग टिकट परीक्षक) के रूप में नियुक्ति मिली। धोनी अपने काम के साथ-साथ क्रिकेट खेलते रहे।
सचिन तेंदुलकर से पहली मुलाकात
दलीप ट्रॉफी के दौरान, धोनी की पहली बार क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर से मुलाकात हुई थी। धोनी सचिन की प्रतिद्वंद्वी टीम का हिस्सा थे, जहां वह 12वें खिलाड़ी के रूप में खेलते थे।
वह दूसरे खिलाड़ियों को ड्रिंक सर्व कर रहा था। उस मैच के दौरान सचिन ने माही से पानी भी मांगा था। धोनी मासूम मुस्कान के साथ पानी पिलाकर चले गए।
एक महत्वपूर्ण निर्णय
2001 से 2003 तक धोनी ने दो जीवन जीते हुए टिकट परीक्षक के रूप में काम किया। धोनी ने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया। लेकिन समय की कमी के कारण उनके खेल में कोई सुधार नहीं हुआ।आख़िरकार, उन्होंने अपनी रेलवे की नौकरी छोड़ने का फैसला किया और पूरे फोकस, समय और समर्पण के साथ क्रिकेट खेलने की योजना बनाई। इस फैसले से धोनी के पिता काफी निराश हुए।
महत्वपूर्ण क्षण
जब वह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नहीं थे, तब कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं। धोनी की मुलाकात प्रियंका नाम की लड़की से हुई। वे एक-दूसरे को पसंद करने लगे और प्यार हो गया। और दोनों ने अपने रिश्ते को गंभीरता से लिया।अपने रिश्ते के दौरान धोनी को भारतीय टीम में शामिल किया गया और धीरे-धीरे लोग उन्हें और उनके खेल को पसंद करने लगे। उन्होंने विदेशी दौरों पर मैच सीरीज में हिस्सा लिया।
जब वह भारत लौटे तो उन्हें एक चौंकाने वाली खबर मिली।धोनी के एक दोस्त ने उन्हें बताया कि प्रियंका की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। धोनी के लिए ये बेहद मुश्किल पल था। कई लोग सोच रहे थे कि शायद उन्हें हमेशा के लिए क्रिकेट छोड़ देना चाहिए। लेकिन वे और भी मजबूत होकर वापस आये।
भारतीय टीम के लिए चयन
बीसीसीआई चयनकर्ता भारत के कई छोटे शहरों में प्रतिभा की तलाश करते हैं। चयनकर्ता रांची आये, जहां उन्होंने धोनी का खेल देखा। वह धोनी के लंबे छक्कों से प्रभावित हुए और उन्होंने धोनी को राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए चुन लिया।
यह धोनी के लिए सुनहरा मौका था। जब धोनी भारत के लिए खेल रहे थे तो वह एक सीरीज के लिए विदेश गए थे। धोनी ने अपनी पहली सीरीज केन्या के खिलाफ खेली थी। उन्होंने उस सीरीज में भारत के लिए दो शतक और एक अर्धशतक लगाया था।
MS DHONI का इंटरनेशनल डेब्यू
धोनी के खेल को देखकर कप्तान सौरव गांगुली और टीम चयनकर्ताओं ने 2004 में धोनी को अंतरराष्ट्रीय भारतीय क्रिकेट टीम के लिए चुनने का फैसला किया और धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया।
माही टीम के 15 खिलाड़ियों में से एक थे। 0 से शुरू हुआ सफर 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज में टीम के 11 खिलाड़ियों में धोनी को भी चुना गया था, लेकिन उन्होंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। अपने पहले अंतरराष्ट्रीय मैच में धोनी 0 पर रन आउट हो गए थे।उस मैच के अलावा सीरीज के बाकी मैचों में उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा।
विश्व कप दौरे के लिए कप्तान
2007 में विश्व कप से कुछ समय पहले भारत अंतरराष्ट्रीय मैचों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा था। भारत को कई हार का सामना करना पड़ा और कप्तान सौरव गांगुली ने कप्तानी से इस्तीफा दे दिया।
टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम को साउथ अफ्रीका जाना था। जब टीम के अधिकारियों ने सचिन से कप्तानी के बारे में पूछा तो उन्होंने सबसे पहले माही का नाम लिया। टीम प्रबंधन सचिन की राय से सहमत हुऐ और 2007 विश्व कप दौरे के लिए धोनी को भारतीय टीम का कप्तान चुना।
टी20 वर्ल्ड कप 2007
टी20 वर्ल्ड कप में टीम बेहतरीन प्रदर्शन कर रही थी और भारतीय टीम मजबूत दिख रही थी। भारत एक के बाद एक मैच जीत रही थी। भारत ने ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान को हराया। एमएस के नेतृत्व में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और भारत विश्व कप के फाइनल में पहुंच गया। हालाँकि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बहुत कम स्कोर बनाया, लेकिन गेंदबाज, क्षेत्ररक्षक और धोनी की रणनीतियाँ इतने कम स्कोर का बचाव करने में सक्षम रहीं। भारत ने 5 रनों से जीत हासिल की और अपना पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता.
वर्ल्ड कप में धोनी के प्रदर्शन ने उन्हें टीम इंडिया का वनडे कप्तान बना दिया। 2008 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर ऑस्ट्रेलिया में कॉमनवेल्थ सीरीज़ जीती।धोनी को ‘थाला’ के रूप में जाना जाता है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2008 में शुरू हुई थी और धोनी आईपीएल नीलामी में सबसे अधिक भुगतान पानें वाले क्रिकेटर थे। धोनी ने चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलना शुरू किया।
धोनी के नेतृत्व में चेन्नई सुपर किंग्स ने 5 बार आईपीएल जीता है। चेन्नई सुपर किंग्स की टीम ने आईपीएल के इतिहास में 10 बार फाइनल खेला है, जो एक रिकॉर्ड है। चेन्नई के क्रिकेट प्रेमियों के लिए वह धोनी नही, वल्कि वह हमेशा थाला बने रहेंगे। मौजूदा आईपीएल 2024 में भी वह बतौर कप्तान नहीं बल्कि खिलाड़ी के तौर पर अपना काम बखूबी निभा रहे हैं
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