भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में नई कमोबेश नीति जारी की है, जो स्थिर आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव साबित होने जा रही है। सबसे बड़ी खबर यह है कि कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया गया है। इस कदम से सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त सुविधा आने की उम्मीद है।
रेपो को मंजूरी
रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा गया है। यह फैसला लक्ष्यों के मानकों का है, जिसमें कहा गया था कि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए अभी आकार में कटौती करना संभव नहीं है।
सी रिजर्व में कटौती क्यों जरूरी थी?
मार्केट रिसर्चर अमरीश रिसर्च फेलो का कहना है कि सी रिजर्व में कटौती की उम्मीद पहले से ही थी। उन्होंने कहा:
“हाल के दिनों में, यांत्रिक प्रणाली में अस्थिरता थी। यह कटौती एक सकारात्मक कदम है, जो बैंकों को राहत देगा और उनकी मजबूत रेटिंग को वापस उछालने की जरूरत को कम करेगा।” सी रिजर्व में 50 आधार अंकों (0.5%) की कटौती के पीछे मुख्य कारण असंतुलन को दूर करना है। इस कदम से बैंकों को अतिरिक्त फंड मिलेगा, जिससे वे ऋण देने की प्रक्रिया में तेजी ला सकेंगे।
रेपो रेट में बदलाव क्यों नहीं किया गया?
RBI ने रिपोजिटरी में बदलाव क्यों नहीं किया, इसका जवाब डॉ. जेन राज (पूर्व लॉजिकल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, RBI) ने दिया:
“अक्टूबर तिमाही के आंकड़े (6.2%) अभी भी काफी खराब हैं। आपकी रेपो रेट में कटौती (5.4%) को देखते हुए फरवरी में रेट कट संभव है।”
डॉ. जेन का मानना है कि यह नीति तटस्थ (न्यूट्रल स्टेंस) पर रहेगी। इसका मतलब है कि भविष्य में आंकड़ों के आधार पर स्टॉक या स्थिरता का फैसला लिया जा सकता है।
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आने वाले समय के संकेत क्या हैं?
नई नीति से जुड़े कई महत्वपूर्ण संदेश हैं:
सी रिजर्व में कटौती से राहत: बैंकों की ऋण देने की क्षमता।
आनुपातिक स्थिरता: जब तक यह आंकड़ों पर स्थिरता हासिल नहीं कर लेती, तब तक इसमें बदलाव की संभावना कम है।
फरवरी में दरों में कटौती संभव: फरवरी में दरों में कटौती संभव।
RBI की नीति का असर
बैंकिंग को लाभ: सेक्टर में बैंकिंग सुविधा की स्थिति सुधरेगी, जिससे लोन चुकाने की प्रक्रिया सरल होगी।
आम आदमी पर असर: फरवरी में ब्याज दरों में उछाल के संकेत मिल सकते हैं, जिससे होम लोन, ऑटो लोन आदि कारोबार में तेजी आ सकती है।
बाजार की प्रतिक्रिया: यह नीति बाजार के लिए सकारात्मक मुद्रा साबित होने वाली है।
RBI की नई मानक नीति: आम आदमी के लिए इसका क्या मतलब है?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में अपनी नई स्मारक नीति शुरू की है। इस नीति में सी रिजर्व रेशियो (नकद रिजर्व रेशियो) में कटौती की गई है, जबकि रिजर्व दर को स्थिर रखा गया है। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं:
1. सी रिजर्व रेशियो क्या है?
सी रिजर्व का मतलब: बैंकों को अपने कुल बैंक (नकद) का एक हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रिजर्व के तौर पर रखना होता है।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?: सीसीआई का इस्तेमाल रिजर्व बैंक के पास नकदी घोषित करने के लिए किया जाता है और इसका इस्तेमाल रेटिंग के हिस्से के तौर पर किया जाता है।
निर्णय: RBI ने CRIRC को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया है।
प्रभाव:
बैंकों के पास अतिरिक्त नकदी आई है।
अनुमान है कि करीब ₹1.16 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी बाजार में आएगी।
बैंकों की ऋण देने की क्षमता।
2. रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट का मतलब: यह वह है जो क्रेडिट रेटिंग पर अल्पकालिक ऋण देता है।
वर्तमान स्थिति: रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा गया है।
रेपो में बदलाव क्यों नहीं किया गया?
मुद्रास्फीति: अक्टूबर में मुद्रास्फीति दर 6.2% रही, जो RBI के विकल्प (4%) से अधिक है।
आर्थिक विकास (जीडीपी स्थिरता): आर्थिक विकास दर 5.4% तक पहुंच गई है, लेकिन अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है।
3. सी रिजर्व में जोखिम उठाना क्यों जरूरी था?
क्या लाभ होंगे?
हाल के दिनों में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी थी।
सी रिजर्व रिपब्लिक से बैंकों को राहत मिलेगी, जिससे वे बड़े लोन ले सकेंगे।
ब्याज पर असर: आईएएस बैंकों को ब्याज दरें बढ़ाने की जरूरत कम हो सकती है।
विशेषज्ञ की राय:
अमरीश सुपरमार्केट (बाजार):
“लिक्विडिटी बढ़ने से बैंक और उद्योग दोनों को फायदा होगा। इससे ब्याज दरों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।”
डॉ. जनरल राज (पूर्व रेलवे अधिकारी):
“सी रिजर्व के अधिकार सही समय पर दिए गए हैं। इससे आपदा का संकट दूर होगा और संस्थाओं को एक जगह मिलेगी।”
4. भविष्य में मनी शॉप का क्या होगा?
प्रमाणपत्र में न्यूट्रल को तटस्थ (न्यूट्रल) रखा गया है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में स्थितियों के हिसाब से शेयर के अधिकार को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
विशेषज्ञ का मानना है कि अगर शेयर बाजार कम रहा और सेक्टर के निवेशक बने रहे तो फरवरी 2024 में दरों में कटौती हो सकती है।
5. इस नीति का आम आदमी पर असर
बैंकों के लिए: पीक ग्रोथ से लोन चुकाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
उधारकर्ताओं के लिए: अगले महीने ब्याज पात्रता में कमी आने की संभावना है। होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन में कमी आ सकती है।
अर्थव्यवस्था पर: बैंक मजबूत स्थिति से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे।
6. यह नीति क्यों खास है?
इक्विटी और ग्रोथ का संतुलन: यह नीति कंट्रोवर्सी और ग्रोथ के बीच संतुलन है।
निष्कर्ष
RBI की नई नीति ने सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सीआरआर में कटौती से बैंकों को राहत मिली है, वहीं रेपो रेट को स्थिर रखना दर्शाता है कि महंगाई पर नियंत्रण अभी भी प्राथमिकता है। आने वाले समय में सबकी निगाहें फरवरी की नीति पर रहेंगी।
इस नीति के बारे में आपकी क्या राय है? हमें कमेंट में बताएं!