देश में डिजिटल पेमेंट का चलन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। लोग अब छोटे-मोटे ट्रांजेक्शन से लेकर बड़ी खरीदारी के लिए UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) का इस्तेमाल कर रहे हैं। चाहे ₹10 का ई-रिक्शा का किराया हो या फिर सोने जैसी महंगी चीजों की खरीदारी, UPI ने पेमेंट के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है।
लेकिन अब UPI से जुड़ा एक दिलचस्प सर्वे सामने आया है, जिसमें दावा किया गया है कि अगर UPI पेमेंट पर कोई चार्ज लगाया जाता है, तो 3/4 यूजर इसका इस्तेमाल करना बंद कर सकते हैं। यह दावा लोकल सर्किल्स के एक सर्वे के जरिए सामने आया है, जो UPI के भविष्य के इस्तेमाल को लेकर एक अहम सवाल खड़ा करता है।
सर्वे में क्या कहा गया है?
लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक, अगर UPI ट्रांजेक्शन पर कोई चार्ज लगाया जाता है, तो 25% यूजर इसका इस्तेमाल करना बंद कर देंगे। वहीं, 22% यूजर ने कहा कि चार्ज लगने के बाद भी वे UPI का इस्तेमाल करते रहेंगे। इस सर्वे में 308 जिलों के 42,000 से ज़्यादा लोगों ने अपनी राय दी।
Table of Contents
UPI के बढ़ते इस्तेमाल के मायने
सर्वे के मुताबिक, 38% यूज़र अपने कुल ट्रांजेक्शन का 50% UPI के ज़रिए ही करते हैं। यह डेटा इस बात की पुष्टि करता है कि UPI अब डिजिटल पेमेंट का अहम हिस्सा बन गया है। NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया) के डेटा के मुताबिक, 2023-24 में UPI ट्रांजेक्शन की संख्या में रिकॉर्ड 57% की बढ़ोतरी हुई है। वैल्यू के मामले में भी 44% का उछाल आया है।
यह पहली बार है जब किसी वित्तीय वर्ष में UPI ट्रांजेक्शन 100 बिलियन ट्रांजेक्शन को पार कर गया है। 2022-23 में यह संख्या 84 बिलियन थी, जबकि 2023-24 में यह 131 बिलियन ट्रांजेक्शन हो गई है। वैल्यू के मामले में UPI ट्रांजेक्शन ₹1.39 लाख करोड़ से बढ़कर ₹99 लाख करोड़ से ज़्यादा हो गए हैं।
यूपीआई पर शुल्क लगाने से क्या होगा असर?
स्थानीय सर्किलों के इस सर्वे से यह स्पष्ट है कि यूपीआई पर किसी भी तरह का शुल्क लगाने से इसका इस्तेमाल कम हो सकता है। सर्वे में यह भी कहा गया है कि यूपीआई अब 10 में से चार उपयोगकर्ताओं के भुगतान का अहम हिस्सा बन गया है। ऐसे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कर लगाने से यूपीआई उपयोगकर्ताओं की संख्या में गिरावट देखने को मिल सकती है।
क्या बैंक और सरकार यूपीआई पर शुल्क लगाने के बारे में सोच रहे हैं?
फिनटेक सेक्टर से जुड़े कई विशेषज्ञ और बैंक यूपीआई पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) लगाने की मांग कर रहे हैं। एमडीआर वह शुल्क है जो व्यापारी या दुकानदार भुगतान प्रक्रिया के लिए बैंक को देते हैं। फिलहाल डेबिट और क्रेडिट कार्ड से लेनदेन पर ऐसा शुल्क लगाया जाता है। अब मांग की जा रही है कि यूपीआई लेनदेन पर भी ऐसा शुल्क लगाया जाना चाहिए।
हालांकि, सरकार या आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की ओर से अभी तक इस पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। लोकल सर्किल्स अपने सर्वेक्षण के नतीजों को वित्त मंत्रालय और आरबीआई के साथ साझा करने की योजना बना रहा है, ताकि कोई भी शुल्क लगाने से पहले यूपीआई उपयोगकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखा जा सके।
निष्कर्ष
UPI ने भारतीय भुगतान प्रणाली में क्रांति ला दी है, लेकिन अगर इस पर कोई शुल्क लगाया जाता है, तो इससे यूपीआई के इस्तेमाल पर असर पड़ सकता है। ऐसे समय में जब डिजिटल भुगतान का चलन तेजी से बढ़ रहा है, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और वित्तीय संस्थान इस पर किस तरह का फैसला लेते हैं।
आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? क्या UPI पर शुल्क लगाया जाना चाहिए या नहीं? नीचे कमेंट में अपने विचार साझा करें।