India : क्रिकेट, खासकर टेस्ट क्रिकेट, अक्सर सिनेमा की तरह होता है। ऐसा सिनेमा जिसमें रोमांच, उतार-चढ़ाव और हीरो की जीत या हार का जादू आपको हर पल बांधे रखता है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पर्थ में खेले गए पहले टेस्ट मैच का पहला दिन इसका जीता जागता उदाहरण था। इस दिन क्रिकेट प्रशंसकों को एक ऐसा ड्रामा देखने को मिला जो न केवल अप्रत्याशित था बल्कि ऐतिहासिक भी था।
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पर्थ का पिच और दिन का सेटअप
पर्थ की पिच को हमेशा तेज गेंदबाजों के लिए स्वर्ग माना गया है। इस बार भी यह अलग नहीं थी। सुबह की शुरुआत से ही बॉल स्विंग कर रही थी, उछाल खतरनाक था, और बल्लेबाजों के लिए टिकना बेहद मुश्किल। जब भारतीय टीम ने बल्लेबाजी शुरू की, तो ऐसा लग रहा था कि ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज मैदान पर आग उगल देंगे। और यही हुआ।
India की बैटिंग: एक निराशा भरा संघर्ष
India के लिए शुरुआत बेहद खराब रही। शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल दोनों बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए। कप्तान विराट कोहली भी पांच रन बनाकर आउट हो गए, और ऐसा लगा कि टीम के ऊपर वही संकट मंडरा रहा है जो न्यूजीलैंड के दौरे पर हुआ था।
हालांकि, इस पारी में एक छोटा सा परंतु महत्वपूर्ण मोड़ आया ऋषभ पंत और डेब्यूटेंट नितीश रेड्डी की साझेदारी से। जहां ऋषभ ने 37 रन बनाए, वहीं रेड्डी ने 41 रनों की लड़ाकू पारी खेली। इस साझेदारी ने भारत को 150 तक पहुंचाया। हालांकि यह स्कोर एक टेस्ट मैच में बहुत कम होता है, लेकिन पिच की स्थिति को देखते हुए यह प्रतिस्पर्धी लग रहा था।
जसप्रीत बुमराह: लीडर, दिग्गज, और प्रेरणा
India के 150 पर ऑल आउट होने के बाद जब ऑस्ट्रेलियाई टीम बल्लेबाजी करने आई, तो जसप्रीत बुमराह ने अपने प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया। उनकी गेंदबाजी ने दिखाया कि वह क्यों दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में गिने जाते हैं।
बुमराह ने उस्मान ख्वाजा जैसे अनुभवी बल्लेबाज को आउट किया, डेब्यूटेंट नेथन का विकेट लिया, और स्टीव स्मिथ को पहली ही गेंद पर पवेलियन भेजकर मैच का माहौल बदल दिया। स्मिथ का विकेट खासतौर पर अहम था, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक हैं।
मोहम्मद सिराज ने भी लाबुशेन का अहम विकेट लिया। लाबुशेन, जो आमतौर पर लंबी पारियां खेलने के लिए मशहूर हैं, 52 गेंदों में सिर्फ 2 रन ही बना सके। यह भारतीय गेंदबाजों के अनुशासन और रणनीति का नतीजा था।
ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों को कोई मौका नहीं मिला। वे 67/7 के स्कोर पर सिमट गए, और दिन का अंत होते-होते India ने 83 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त बना ली थी।
क्यों यह दिन ऐतिहासिक था?
1952 के बाद पहली बार टेस्ट क्रिकेट में एक दिन में 17 विकेट गिरे। यह अपने आप में एक बड़ी बात है। 150 रनों पर ऑल आउट होने के बावजूद India ने ऑस्ट्रेलिया के सात विकेट चटकाकर साबित कर दिया कि यह टीम केवल संघर्ष करने के लिए नहीं, बल्कि जीतने के लिए मैदान पर आई है।
बुमराह: भविष्य के कप्तान?
जसप्रीत बुमराह की कप्तानी और प्रदर्शन ने उन्हें भविष्य के कप्तान के रूप में एक मजबूत दावेदार बना दिया है। उन्होंने न केवल चार विकेट लिए, बल्कि अपने शानदार नेतृत्व कौशल से टीम को संकट से बाहर निकाला। यह उनके करियर का एक और बड़ा मोमेंट है और भारतीय क्रिकेट के लिए गर्व की बात है।
आगे की राह: क्या India जीत पाएगा?
अब सवाल यह है कि क्या India इस लीड को और बड़ा कर पाएगा? अगर भारतीय गेंदबाज ऑस्ट्रेलिया को कल सुबह जल्दी आउट कर देते हैं और भारत दूसरी पारी में 200 रन की बढ़त ले लेता है, तो यह मैच पूरी तरह से भारत के पक्ष में झुक सकता है। पर्थ की पिच चौथी पारी में बल्लेबाजों के लिए और भी मुश्किल होगी, और यही भारत का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है।
भारत की बैटिंग चिंता: क्या विराट और राहुल करेंगे वापसी?
पहले दिन की बल्लेबाजी में भारत की कमजोरियां भी उजागर हुईं। विराट कोहली का फॉर्म चिंता का विषय है। केएल राहुल का विवादास्पद आउट होना भी सवाल खड़े करता है। शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल को भी अपनी प्रतिभा के अनुरूप प्रदर्शन करना होगा।
निष्कर्ष: पहला दिन था ‘एब्सलूट सिनेमा’
यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया का पहला दिन टेस्ट क्रिकेट का एक बेहतरीन उदाहरण था। यह वह दिन था जब जसप्रीत बुमराह ने अपने प्रदर्शन से खेल का रुख बदल दिया। भारत के पास अब यह मैच जीतने का सुनहरा मौका है और यह मैच विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने के लिए काफी अहम साबित हो सकता है। उम्मीद है कि अगले दिन भारत का प्रदर्शन और भी बेहतर होगा और यह मैच भारतीय क्रिकेट के लिए एक और शानदार अध्याय बन जाएगा।
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