India’s Economic Growth Forecast: Nomura Forecast and GDP Situation

पिछले शुक्रवार की खबरें और मौजूदा स्थिति

Nomura: पिछले शुक्रवार को भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के आंकड़े सामने आए, जिससे आर्थिक जगत में चिंता फैल गई। जीडीपी के आंकड़ों में गिरावट आई, जिससे संकेत मिलता है कि देश की विकास दर को बड़ा झटका लगा है। पिछले साल की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 8.2% थी, लेकिन इस साल की पहली तिमाही में यह गिरकर केवल 6.7% रह गई। यह आर्थिक मंदी भारत के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है।

Nomura का पूर्वानुमान और उसका असर

वैश्विक वित्तीय सेवा समूह Nomura ने भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता जताई है। Nomura ने वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत के विकास पूर्वानुमान को घटाकर 6.7% कर दिया है, जबकि पहले इसका अनुमान 6.9% लगाया गया था। यह गिरावट सीधे तौर पर अप्रैल-जून तिमाही के कमजोर जीडीपी आंकड़ों की वजह से है।

कॉर्पोरेट मुनाफे में कमी

भारत में आर्थिक गिरावट के पीछे तीन बड़ी वजहें हैं। पहली बड़ी वजह है कॉरपोरेट मुनाफे में कमी। बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक, 3000 कंपनियों की कुल बिक्री में साल-दर-साल सिर्फ 7.7% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि मुनाफे में सिर्फ 3.5% की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल की तिमाही में कुल बिक्री 2.3% थी, जबकि मुनाफा 37.1% था। इस साल कुल 2539 कंपनियों की बिक्री घटकर 5.2% रह गई और मुनाफे में 3.1% की गिरावट आई।

सरकारी खर्च में कमी

दूसरा बड़ा कारण चुनावों के कारण सरकारी खर्च में कमी है। चुनावों के कारण सरकार ने अपने खर्चों में कटौती की है, जिसका असर जीडीपी पर पड़ा है। Nomura का कहना है कि यह कारक क्षणिक है, यानी अस्थायी है, लेकिन फिर भी इसका असर विकास दर पर देखने को मिल रहा है।

ऋण वृद्धि में कमी

तीसरा महत्वपूर्ण कारण ऋण वृद्धि में कमी है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में ऋण वृद्धि 11.2% रही, जो पिछले साल की समान अवधि से कम है। इसका मुख्य कारण बैंकों में जमा में कमी है। अब लोग अपना पैसा बैंकों में रखने के बजाय म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में लगा रहे हैं। नतीजतन, बैंकों के लिए लोन देना मुश्किल हो गया है।

भविष्य के संकेत

यह समय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। गोल्डमैन सैक्स और जेपी मॉर्गन जैसी वित्तीय संस्थाएं, जिन्होंने अपनी विकास दर को 6.5% पर स्थिर रखा है, अब भारत के लिए विशेष चिंता व्यक्त कर रही हैं। हालांकि, Nomura के पूर्वानुमान के अनुसार, भारत की विकास दर में और गिरावट आ सकती है।

निष्कर्ष

देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए यह जरूरी है कि सरकार और वित्तीय संस्थाएं मिलकर काम करें। कॉरपोरेट मुनाफे में गिरावट, सरकारी खर्च में कमी और लोन ग्रोथ में मंदी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिए।

Leave a Comment