New Income Tax Slabs 2024-25 | New Tax Regime vs Old Tax Regime! Budget 2024 Analysis

 परिचय

बजट 2024 में नए Tax स्लैब पेश किए गए हैं, लेकिन ये नए टैक्स स्लैब सिर्फ़ नई टैक्स व्यवस्था में ही लागू होंगे। क्या इसका मतलब यह है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था का कोई फ़ायदा नहीं है? आइए इस ब्लॉग में समझते हैं कि आपके लिए कौन सी टैक्स व्यवस्था बेहतर है। इस ब्लॉग में हम हर टैक्स स्लैब पर चर्चा करेंगे ताकि आप अपने लिए सही टैक्स व्यवस्था चुन सकें। पूरी जानकारी के लिए कृपया पूरा ब्लॉग पढ़ें क्योंकि हम कुछ खास परिस्थितियों पर भी चर्चा करेंगे जिनमें पुरानी टैक्स व्यवस्था बेहतर हो सकती है।

दोनों व्यवस्थाओं में Tax स्लैब

चलो पहले दोनों व्यवस्थाओं में Tax स्लैब को देखें।

पुरानी Tax व्यवस्था

पुरानी कर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कर स्लैब निम्नलिखित हैं:

– 0 से 2.5 लाख: शून्य कर दर

– 2.5 से 5 लाख: 5% कर दर

– 5 लाख से 10 लाख: 20% कर दर

– 10 लाख से अधिक: 30% कर दर

अगर हमारी कर योग्य आय 5 लाख से कम है तो हमारा टैक्स शून्य हो जाता है। वैसे तो 2.5 से 5 लाख तक 5% की दर है, लेकिन अगर Tax योग्य आय 5 लाख से कम है तो हमें 12,500 रुपये की छूट मिलती है जिससे टैक्स शून्य हो जाता है। पुराने टैक्स स्लैब में 50,000 रुपये की मानक छूट है। इस तरह अगर हमारी आय 5.5 लाख है और मानक छूट 50,000 रुपये है तो हमें कोई टैक्स नहीं देना होगा।

नई Tax व्यवस्था

नई कर व्यवस्था में 2024 बजट के तहत नए कर स्लैब पेश किए गए हैं। पुराने कर स्लैब वित्तीय वर्ष 2024-25 से लागू नहीं होंगे। नई कर दरें निम्नलिखित हैं:

– 0 से 3 लाख: शून्य कर दर

– 3 से 7 लाख: 5% कर दर

– 7 से 10 लाख: 10% कर दर

– 10 से 12 लाख: 15% कर दर

– 12 से 15 लाख: 20% कर दर

– 15 लाख से अधिक: 30% कर दर

नई कर व्यवस्था में 7 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट मिलती है। इसका मतलब है कि 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं होगा।

 कौन सी व्यवस्था बेहतर है?

अब हम समझते हैं कि नई और पुरानी व्यवस्था में कौन सी कर स्लैब बेहतर है।

पुरानी Tax व्यवस्था

अगर किसी की आय 2.4 लाख रुपये है, तो मानक छूट 50,000 रुपये होगी। अगर किसी ने अतिरिक्त छूट का दावा किया है, जैसे कि HRA छूट, घर की संपत्ति से नुकसान, होम लोन पर ब्याज, 80C के तहत कटौती, 80D के तहत चिकित्सा बीमा, या नियोक्ता का NPS योगदान, तो वह सभी छूटों को यहाँ जोड़ सकता है।

मानक छूट और अतिरिक्त छूट जोड़ने के बाद जो आय बचती है, वह कर योग्य आय होगी। इस प्रकार, यदि किसी की आय 5.5 लाख रुपये है और मानक छूट और अन्य छूट के बाद आय 5 लाख रुपये से कम है, तो कोई कर नहीं लगाया जाएगा।

नई Tax व्यवस्था

नई कर व्यवस्था में मानक छूट 75,000 रुपये है। नियोक्ता के एनपीएस अंशदान को भी छूट दी गई है, जो पहले केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए थी। अब यह छूट सभी के लिए उपलब्ध है, और इसकी सीमा 10% से बढ़ाकर 14% कर दी गई है।

 तुलना

5 लाख रुपये तक की आय पर दोनों व्यवस्थाओं में कर शून्य है। 5 लाख रुपये से 7 लाख रुपये तक की आय पर, यदि किसी की आय 5.8 लाख रुपये है, तो 50,000 रुपये की मानक छूट और 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट के बाद, कर योग्य आय 4.8 लाख रुपये है। इस मामले में, नई कर व्यवस्था में कोई कर नहीं है, जबकि पुरानी व्यवस्था में कर 22,500 रुपये था। 

7 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर, यदि किसी की आय 8.5 लाख रुपये है और वह 2.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करता है, तो पुरानी व्यवस्था में कर 22,500 रुपये है, जबकि नई व्यवस्था में कर 27,500 रुपये है।

 उच्च आय के लिए तुलना

अगर किसी की आय 17 लाख रुपये है और वह 4.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करता है, तो पुरानी व्यवस्था के तहत देय कर 1,72,500 रुपये होगा, जबकि नई व्यवस्था के तहत देय कर 1,57,000 रुपये होगा। इस प्रकार, नई व्यवस्था अभी भी बेहतर है।

 विशिष्ट परिस्थितियों में कौन सी व्यवस्था बेहतर है?

कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में, पुरानी कर व्यवस्था बेहतर हो सकती है। जैसे:

 उच्च HRA छूट

अगर आप किराए के घर में रहते हैं और आपका HRA (हाउस रेंट अलाउंस) बहुत ज़्यादा है, तो आपके लिए पुरानी व्यवस्था बेहतर हो सकती है। HRA छूट एक महत्वपूर्ण छूट है जो आपकी कर योग्य आय को कम कर सकती है।

उच्च 80C कटौतियाँ

पुरानी व्यवस्था आपके लिए फायदेमंद हो सकती है अगर आप 80सी के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये की कटौती का दावा कर सकते हैं। इसमें पीपीएफ, जीवन बीमा प्रीमियम, ईएलएसएस और बच्चों की स्कूल फीस शामिल है।

 चिकित्सा बीमा (80D)

यदि आप अपने और अपने परिवार के लिए उच्च चिकित्सा बीमा प्रीमियम का भुगतान करते हैं, तो 80डी के तहत कटौती आपकी Tax योग्य आय को कम कर सकती है, जिससे पुरानी व्यवस्था आपके लिए बेहतर हो जाएगी।

 गृह लोन का ब्याज

अगर आप होम लोन पर ब्याज दे रहे हैं तो आपको 2 लाख रुपये तक की छूट मिल सकती है। इससे आपकी Tax योग्य आय भी कम हो सकती है।

Tax व्यवस्थाओं के बीच स्विच करना

अगर आपकी आय सिर्फ़ वेतन से है, तो आप किसी भी वित्तीय वर्ष में किसी भी व्यवस्था में जा सकते हैं। लेकिन अगर आपकी कोई व्यावसायिक आय है, तो आप सिर्फ़ एक बार ही बदलाव कर सकते हैं। साथ ही, नई कर व्यवस्था डिफ़ॉल्ट व्यवस्था बन गई है, इसलिए अगर आप पुरानी व्यवस्था में बने रहना चाहते हैं, तो आपको इसे चुनना होगा।

 निष्कर्ष

टैक्स स्लैब, मानक छूट और एनपीएस योगदान सीमा में वृद्धि के कारण नई कर व्यवस्था ज्यादातर मामलों में पुरानी व्यवस्था से बेहतर है। वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले मूल्यांकन वर्ष में 66% लोगों ने नई व्यवस्था को अपनाया है। हमारी गणना के अनुसार, यह संख्या बढ़कर 90% हो सकती है।

आशा है कि यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित होगा। इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें ताकि वे भी सही Tax व्यवस्था चुन सकें। निवेश करने से पहले सभी प्रासंगिक दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ें क्योंकि निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं।

 अतिरिक्त बिंदु

नई Tax व्यवस्था के फायदे

1. सरलता: नई कर व्यवस्था सरल है और इसमें कम कटौती और छूट शामिल हैं, जिससे Tax रिटर्न दाखिल करना आसान हो जाता है।

2. उच्च इन-हैंड सैलरी: नई कर व्यवस्था में कम कटौती के कारण आपका इन-हैंड सैलरी बढ़ जाता है।

3. लचीलापन: नई व्यवस्था में निवेश करने की अधिक स्वतंत्रता है क्योंकि आपको कर बचाने के लिए विशिष्ट निवेश योजनाओं का पालन नहीं करना पड़ता है।

पुरानी Tax व्यवस्था के फायदे

1. अधिक छूटें: पुरानी Tax व्यवस्था में अधिक छूटें और कटौतियाँ शामिल हैं, जिससे आप अपनी कर योग्य आय को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

2. विस्तृत कर योजना: अगर आप अपने वित्त को अच्छी तरह से योजना बना सकते हैं, तो पुरानी व्यवस्था आपके लिए फायदेमंद हो सकती है।

 उदाहरण

मान लीजिए आपकी आय 12 लाख रुपये है। पुरानी व्यवस्था में, आप विभिन्न छूटों और कटौतियों का दावा कर सकते हैं, जैसे कि:

80C के तहत 1.5 लाख रुपये

– HRA छूट 1 लाख रुपये

– 80D के तहत 50,000 रुपये

– गृह लोन का ब्याज 2 लाख रुपये

इस प्रकार आपकी कर योग्य आय 7 लाख रुपये होगी। जबकि नई व्यवस्था में 75,000 रुपये की मानक छूट के बाद आपकी कर योग्य आय 11.25 लाख रुपये होगी। ऐसे में पुरानी व्यवस्था आपके लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद रहेगी।

 वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए सुझाव

1. अपनी आय और छूटों की गणना करें: पहले अपनी आय और संभावित छूटों और कटौतियों की गणना करें।

2. दोनों व्यवस्थाओं में कर की तुलना करें: दोनों व्यवस्थाओं में कर की तुलना करें और देखें कि कौन सी आपके लिए अधिक फायदेमंद है।

3. लंबी अवधि के निवेश का विचार करें: लंबी अवधि के निवेश

 जैसे पीपीएफ, ईएलएसएस, और गृह लोन के ब्याज भुगतान का विचार करें, जो आपकी कर योग्य आय को कम कर सकते हैं।

 समापन

इस विस्तृत ब्लॉग के माध्यम से हमने नई और पुरानी Tax व्यवस्थाओं के सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को कवर किया है। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी और आपको सही Tax व्यवस्था चुनने में मदद करेगी। यदि आपके पास कोई और प्रश्न है या किसी विशेष स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं, तो कृपया हमें बताएं।

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