ITC का डिमर्जर होटल में होने वाला है, इसके बारे में इस आर्टिकल में पूरी तरह से समझने की कोशिश करेंगे।
सबसे पहले हम यह जानेंगे कि अगर आप ITC के शेयरधारक हैं। शेयर खरीदने के बाद हम ITC की किन-किन कंपनियों में भागीदार बनते हैं। चूँकि ITC में कई कंपनियाँ हैं। यदि आप वर्तमान में आईटीसी कंपनी में शेयरधारक हैं, तो आप आईटीसी में फियामा, विवेक, आशीर्वाद, पेपरबोर्ड, सिगरेट, एग्री, और आईटी आदि में भागीदार बन जाते हैं और इसके साथ ही, जब तक होटल का डीमर्जर नहीं हो जाता, तब तक आप आईटीसी के होटल में भी भागीदार बन जाते हैं।
आईटीसी होटल के डीमर्जर के बाद इसमें कुछ बदलाव होंगे जो इस प्रकार होंगे।
जब ITC का डीमर्जर होगा, तो ITC में निवेश करने वाले निवेशकों के पास ITC की कंपनी में 60% और ITC की होटल कंपनी में 40% हिस्सा होगा। लेकिन ITC की होटल कंपनी में निवेश करने वाले निदेशकों को होटल कंपनी में केवल 60% हिस्सा ही मिलेगा। क्योंकि 40% हिस्सा ITC अपने मुख्य कंपनी में ही रखेगा।
ITC द्वारा अपनी होटल कंपनी को अलग करने का मुख्य कारण क्या है? आइये इस बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बात करते हैं।
आईटीसी की इस योजना के बाद उन आईटीसी उन निवेशकों को अधिक लाभ मिलेगा जो आईटीसी की मुख्य कंपनी में निवेश करेंगे क्योंकि जब आप आईटीसी में निवेश करते हैं तो आपको मुख्य कंपनी में आईटीसी का 60% हिस्सा मिलेगा और आईटीसी होटल में निवेश किए बिना आपको 40% हिस्सा मिलेगा लेकिन जब आप आईटीसी होटल में निवेश करते हैं तो आपको होटल कंपनी में आईटीसी का केवल 60% हिस्सा मिलेगा।
अगर हम यह समझने की कोशिश करें कि आईटीसी होटल क्यों डीमर्ज किए जा रहे हैं, तो हम इसे टाटा ग्रुप की एक कंपनी का उदाहरण लेकर समझने की कोशिश कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप टाटा के होटल में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको इंडियन होटल्स में निवेश करना होगा। इसी तरह, अगर आप टाटा की कार कंपनी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आपको टाटा मोटर्स में निवेश करना होगा। अगर आप आईटी कंपनी में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको टीसीएस में निवेश करना होगा और टाटा की एफएमसीजी कंपनी में निवेश करने के लिए आपको टाटा कंज्यूमर्स में निवेश करना होगा।
इसमें एक संदिग्ध बात यह है कि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि अगर हम ITC में निवेश करते हैं तो मुझे ITC की कंपनी के कितने शेयर मिलेंगे और होटल कंपनी के कितने शेयर मिलेंगे। इस संदेह को दूर करने के लिए शायद हमें कुछ और समय तक इंतजार करना पड़ेगा।
यहां चीजें समझने में थोड़ी मुश्किल हो जाती हैं, क्या आप जानते हैं क्यों?
इसका मुख्य कारण यह है कि ITC की होटल कंपनी को पूरी तरह से अलग नहीं किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, यदि आप रिलायंस कंपनी में निवेश करते हैं, तो जब आप रिलायंस का 1 शेयर खरीदते हैं, तो आपको जियो फाइनेंस का भी 1 शेयर मिलेगा। इस तरह से यह हमारे लिए कम परेशानी वाला होना चाहिए, लेकिन अगर हम ITC की बात करें, तो ITC होटल कंपनी में 60% हिस्सेदारी देती है और 40% अपने पास रखती है।
यदि हम होटल व्यवसाय के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आइए यह जानने का प्रयास करें कि होटल व्यवसाय कितना बड़ा है जिसके कारण आईटीसी ने होटल व्यवसाय को अलग कर रहा है।
अगर हम वित्त वर्ष 2023 के हिसाब से ITC के होटल व्यवसाय के कुल कारोबार पर नज़र डालें तो हम पाते हैं कि ITC की सभी कंपनियों में से होटल व्यवसाय ने सबसे कम रेवेन्यू जनरेट किया है। जब आप सभी टैक्स चुकाने के बाद मुनाफ़े की बात करते हैं तो यह भी देखा गया है कि होटल व्यवसाय ने सबसे कम मुनाफ़ा कमाया है। अगर आप ITC की सभी कंपनियों पर नज़र डालें तो सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा सिगरेट कंपनी को हुआ है।
अब अगर हम ITC के होटल कारोबार के अंतिम विश्लेषण की बात करें तो-
2003 में इसका रेवेन्यू 349 करोड़ था लेकिन अगर 2023 में इसके रेवेन्यू की बात करें तो यह बढ़कर 2689 करोड़ हो गया है। इन सभी सालों में इसकी ग्रोथ करीब 11% रही है। अगर कुल मुनाफे में इसके योगदान की बात करें तो पिछले साल यह 557 करोड़ था।
अगर हम होटल व्यवसाय की बात करें तो जिस समय कोरोना महामारी आई थी उस समय होटल व्यवसाय की हालत बहुत खराब थी, ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में था, लेकिन कोरोना काल खत्म होने के बाद होटल व्यवसाय में अचानक से उछाल आया है जिसमें देखा गया है कि CAGR में 17% की बढ़ोतरी हुई है।
और अगर होटल व्यवसाय में इसी तरह से कारोबार चलता रहा तो आईटीसी के होटल अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे और इसमें निवेश करने वालों को भी अच्छा मुनाफा मिलेगा, लेकिन जब भी आप आईटीसी में निवेश करें तो आपको आईटीसी का विश्लेषण करना चाहिए और आईटीसी की होटल कंपनी का भी विश्लेषण करना चाहिए क्योंकि दोनों एक दूसरे से 60% – 40% की दर से जुड़े हुए हैं।
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