Climate Change and Al Nino: Heat Wave के बारे मे एक COMPREHENSIVE GUIDE Researcheded by Dhruv Rathi

पिछले कुछ दशकों में, हमने दुनिया भर में अधिक लगातार और तीव्र Heat Wave का अनुभव किया है। भारत सहित कई देश रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का सामना कर रहे हैं। यह लेख Heat Wave के पीछे के विज्ञान की व्याख्या करता है, जिसमें प्राकृतिक चक्र अल नीनो और मानववंशीय जलवायु परिवर्तन की भूमिका शामिल है। साथ ही, हम Heat Wave के प्रभावों को कम करने के लिए समाधानों के बारे मे भी बात करेंगे।

Heat Wave Heat Wave का बढ़ता खतरा

पिछले कुछ दशकों में, चरम तापमान और Heat Wave की आवृत्ति में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। ये चरम तापमान न केवल असुविधाजनक हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य, कृषि उत्पादकता और बुनियादी ढांचे के लिए भी गंभीर खतरा हैं। भारत सहित दुनिया भर के कई देश अब नियमित रूप से भीषण गर्मी लहरों का सामना कर रहे हैं। 2023 में, भारत ने मार्च के अंत से ही असामान्य रूप से गर्म मौसम का अनुभव किया, जिसने पूरे देश में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई।

यह लेख Heat Wave की घटना को समझने में आपकी सहायता करेगा। हम देखेंगे कि गर्मी लहरें क्या हैं, वे कैसे बनती हैं, और वे हमारे वातावरण और जीवन को कैसे प्रभावित करती हैं। साथ ही, हम Heat Wave के प्रभाव को कम करने और इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए समाधानों का भी पता लगाएंगे।

Heat Wave ( गर्मी लहरों क्या हैं?)

Heat Wave असामान्य रूप से गर्म तापमान की अवधि होती हैं जो कई दिनों या हफ्तों तक चलती हैं। Heat Wave को परिभाषित करने के लिए विशिष्ट तापमान मान स्थान के अनुसार भिन्न होते हैं। आमतौर पर, गर्मी लहर को उस अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है जब तापमान औसत से काफी अधिक होता है और कई दिनों तक बना रहता है। उदाहरण के लिए, भारत में, गर्मी लहर को लगातार तीन दिनों से अधिक समय तक 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

Heat Wave की गंभीरता न केवल तापमान पर निर्भर करती है, बल्कि आर्द्रता पर भी निर्भर करती है। उच्च आर्द्रता गर्मी के प्रभाव को और बढ़ा देती है क्योंकि यह शरीर से पसीने के वाष्पीकरण को रोकती है, जिससे शरीर को ठंडा रखना मुश्किल हो जाता है।

भारत में गर्मी लहरें: एक बढ़ती हुई समस्या

हाल के वर्षों में, Heat Wave की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि देखी गई है। 2010 से पहले, भारत में 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले दिनों की संख्या औसतन प्रति वर्ष पांच से कम थी। हालांकि, 2010 के बाद से, यह संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है, कुछ क्षेत्रों में प्रति वर्ष 15 से अधिक दिनों का अनुभव होता है।

2015 और 2016 में भारत में भीषण Heat Wave का प्रकोप देखा गया, जिसके कारण हजारों लोगों की मौत हो गई। 2023 में भी, मार्च के अंत से ही असामान्य रूप से गर्म मौसम का अनुभव हुआ, जिसने पूरे देश में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई। कई शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, जिससे बिजली की कटौती, जल संकट और गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हुईं।

वैश्विक परिदृश्य: दुनिया भर में Heat Wave का प्रकोप

भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जो Heat Wave की चपेट में आ रहा है। दुनिया भर के कई देश अब अधिक लगातार और तीव्र गर्मी लहरों का सामना कर रहे हैं। यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों में भी हाल के वर्षों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की गई है। उदाहरण के लिए:

  • 2003 में यूरोप में एक भीषण गर्मी लहर ने हजारों लोगों की जान ले ली।
  • 2018 में कैलिफोर्निया में लगी जंगल की आग, जो अब तक की सबसे विनाशकारी जंगल की आग में से एक है, को गंभीर Heat Wave के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
  • 2019 में ऑस्ट्रेलिया में लगी भीषण आग, जिसने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई, को भी Heat Wave और सूखे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।

Heat Wave के पीछे का विज्ञान

गर्मी लहरों के कई कारण होते हैं, जिनमें प्राकृतिक चक्र और मानव गतिविधियां दोनों शामिल हैं। आइए Heat Wave के पीछे के दो प्रमुख कारकों को देखें:

Al Nino और La nina का प्रभाव

प्रशांत महासागर में होने वाले प्राकृतिक चक्र अल नीनो और ला नीना का पृथ्वी के मौसम पैटर्न पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। ये चक्र समुद्र की सतह के तापमान में परिवर्तन से जुड़े होते हैं।

  • Al Nino(अल निनों): एक गर्म चरण है, जिसके दौरान मध्य और पूर्वी उष्ण कटिबंधीय प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से गर्म पानी होता है। अल नीनो के दौरान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशिया में सूखे का खतरा बढ़ जाता है, जबकि दक्षिण अमेरिका में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। अल नीनो घटनाएं आमतौर पर 2-7 साल के अंतराल पर होती हैं और छह से बारह महीने तक चलती हैं।
  • La nina (ला नीना): एक ठंडा चरण है, जो अल नीनो के विपरीत प्रभाव पैदा करता है। ला नीना के दौरान, मध्य और पूर्वी उष्ण कटिबंधीय प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से ठंडा पानी होता है। ला नीना के दौरान, ऑस्ट्रेलिया में बारिश अधिक होने की संभावना होती है, जबकि दक्षिण अमेरिका में सूखे का खतरा बढ़ जाता है। ला नीना घटनाएं आमतौर पर अल नीनो घटनाओं की तुलना में कम बार होती हैं और 2-4 साल तक चल सकती हैं।

2023 से शुरू होकर वर्तमान में चल रहा अल नीनो माना जाता है कि भारत सहित कई देशों में असामान्य रूप से गर्म मौसम के लिए जिम्मेदार है।

जलवायु परिवर्तन की भूमिका

Al Nino और La nina जैसे प्राकृतिक चक्रों के अलावा, मानव गतिविधियों के कारण जलवायु परिवर्तन गर्मी लहरों की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन है, जिसमें मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड शामिल है। ये ग्रीनहाउस गैस पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी को फंसाते हैं, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है।

जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि के साथ, चरम तापमान की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। इसका मतलब है कि गर्मी लहरें अधिक बार होती हैं और अधिक गंभीर होती हैं। जलवायु परिवर्तन गर्मी लहरों को और भी खतरनाक बना सकता है क्योंकि यह मौसम पैटर्न को और अस्थिर कर देता है।

गर्मी लहरों के प्रभाव

गर्मी लहरों के व्यापक परिणाम होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य, कृषि, बुनियादी ढांचे और पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

गर्मी लहरों का सबसे तात्कालिक प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है। अत्यधिक गर्मी हीट स्ट्रोक, हीट थकावट, निर्जलीकरण और सांस लेने में तकलीफ जैसी गर्मी से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकती है। बुजुर्ग, बच्चे और पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोग गर्मी से संबंधित बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

गर्मी लहरें मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती हैं, जिससे चिड़चिड़ापन, थकान और नींद की समस्या हो सकती है।

कृषि पर प्रभाव

गर्मी लहरें कृषि उत्पादकता को काफी कम कर सकती हैं। अत्यधिक गर्मी फसलों को जला सकती है, मिट्टी की नमी को कम कर सकती है और कीटों के प्रकोप को बढ़ा सकती है। इससे खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है और खाद्य कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

बुनियादी ढांचे पर प्रभाव

गर्मी लहरें बिजली की मांग को बढ़ा सकती हैं क्योंकि लोग अपने घरों को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशनर का अधिक उपयोग करते हैं। इससे बिजली कटौती हो सकती है, जो अस्पतालों और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं को बाधित कर सकती है।

गर्मी लहरें रेलवे की पटरियों को विकृत कर सकती हैं और सड़कों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे परिवहन व्यवस्था बाधित हो सकती है।

गर्मी लहरों को कम करने के उपाय

हालांकि गर्मी लहरों को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन उनके प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय व्यक्तिगत स्तर से लेकर सरकारी स्तर तक किए जा सकते हैं।

शहरी नियोजन में बदलाव

शहरी क्षेत्र अक्सर गर्मी द्वीप प्रभाव का अनुभव करते हैं, जहां तापमान आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है। इसका कारण यह है कि शहरों में कंक्रीट और डामर जैसी सामग्री गर्मी को अवशोषित करती है और रात में इसे वापस छोड़ती है।

शहरी नियोजन में बदलाव करके गर्मी द्वीप प्रभाव को कम किया जा सकता है। इन परिवर्तनों में शामिल हो सकते हैं:

पेड़ों और अन्य हरित क्षेत्रों को बढ़ावा देना: पेड़ छाया प्रदान करते हैं और वाष्पविकरण के माध्यम से वातावरण को ठंडा करते हैं।

हल्के रंग की छतों को बढ़ावा देना: गहरे रंग की छतें गर्मी को अवशोषित करती हैं, जबकि हल्के रंग की छतें गर्मी को प्रतिबिंबित करती हैं।

हवादार भवन डिजाइन को प्रोत्साहित करना: हवादार भवन डिजाइन प्राकृतिक वायु प्रवाह को बढ़ावा देकर इमारतों को ठंडा रखने में मदद कर सकते हैं।

पारंपरिक शीतलन तकनीकों को अपनाना: पारंपरिक शीतलन तकनीकें, जैसे कि पवन चक्कियां और मिट्टी के बर्तनों का उपयोग, वाष्पशील शीतलन के सिद्धांत पर काम करती हैं और कम ऊर्जा का उपयोग करती हैं।

जल संरक्षण

गर्मी लहरों के दौरान पानी की मांग बढ़ जाती है। जल संरक्षण के उपाय करने से न केवल पानी की कमी को रोका जा सकता है, बल्कि बिजली की बचत भी हो सकती है, क्योंकि पानी पंप करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होगी। जल संरक्षण के उपायों में शामिल हैं:

टपक सिंचाई जैसी जल-कुशल सिंचाई तकनीकों को अपनाना

लीक की मरम्मत करना और जल-कुशल उपकरणों का उपयोग करना

वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना

हरित क्षेत्रों को बढ़ावा देना

पेड़ों और अन्य पौधों को लगाने से गर्मी द्वीप प्रभाव को कम करने और वातावरण को ठंडा रखने में मदद मिलती है। पेड़ छाया प्रदान करते हैं, वाष्पविकरण के माध्यम से वातावरण को ठंडा करते हैं, और हवा को फ़िल्टर करते हैं। शहरी क्षेत्रों में पार्कों, उद्यानों और सड़क के किनारे वृक्षारोपण को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

आपदा प्रबंधन योजनाएँ बनाना

गर्मी लहरों के लिए प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए आपदा प्रबंधन योजनाएँ बनाना आवश्यक है। इन योजनाओं में कमजोर आबादी की सुरक्षा के लिए रणनीतियाँ, शीतलन केंद्रों की स्थापना, और जन जागरूकता अभियान शामिल होने चाहिए।

अगर आप बिस्तार मे देखना चाहते है तो इसे नीचे दिए गए विडिओ के जरिए देख सकते है।

गर्मी लहरें एक गंभीर खतरा हैं जो मानव स्वास्थ्य, कृषि, बुनियादी ढांचे और पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी लहरों की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है। 

गर्मी लहरों के प्रभाव को कम करने के लिए व्यक्तिगत, सामुदायिक और सरकारी स्तर पर कार्रवाई की आवश्यकता है। अभ्यास करके, हरित क्षेत्रों को बढ़ावा देकर और आपदा प्रबंधन योजनाएँ बनाकर गर्मी लहरों के प्रभाव को कम कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना भी महत्वपूर्ण है। सामूहिक रूप से काम करके, हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां गर्मी लहरों का खतरा कम हो।

अतिरिक्त संसाधन

भारत मौसम विभाग: https://mausam.imd.gov.in/

जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय पैनल (IPCC): https://www.ipcc.ch/

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO): https://www.who.int/about

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