Gold Loan: नागरिकों को सोने में निवेश करने का सुरक्षित और आकर्षक विकल्प मुहैया कराने वाली सरकार की गोल्ड बॉन्ड स्कीम अब मुश्किल में है। सोने की ऊंची कीमतों और सरकारी खजाने पर बढ़ते बोझ के कारण अब यह स्कीम बंद हो सकती है। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य यह था कि लोग फिजिकल गोल्ड के बजाय फाइनेंशियल प्रोडक्ट के जरिए सोने में निवेश करें, जिससे आयात पर निर्भरता कम हो। लेकिन यह स्कीम उस हद तक सफल नहीं हो पाई है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि गोल्ड बॉन्ड स्कीम क्यों कमजोर पड़ रही है और Gold Loan मार्केट में किस तरह तेजी देखने को मिल रही है।
गोल्ड बॉन्ड स्कीम का अंत और इसके कारण
गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरुआत मुख्य रूप से फिजिकल गोल्ड के आयात को कम करने के उद्देश्य से की गई थी। इस स्कीम के तहत नागरिकों को सोने में निवेश करने के लिए एक फाइनेंशियल प्रोडक्ट मिलता था, जिसके बदले में उन्हें सोने की कीमत के आधार पर ब्याज भी मिलता था। लेकिन, सोने की लगातार बढ़ती कीमतों ने सरकार के लिए इस स्कीम को जारी रखना मुश्किल कर दिया है। जब ये बॉन्ड मैच्योर होते हैं, तो सरकार को सोने की ऊंची कीमतों के आधार पर बड़ी रकम चुकानी पड़ती है।
नतीजा यह है कि अब सरकारी खजाने पर काफी दबाव है। इससे बचने के लिए सरकार ने इस योजना को बंद करने पर विचार किया है। योजना के बंद होने से यह स्पष्ट है कि सोने की ऊंची कीमतों के कारण यह वित्तीय उत्पाद अब टिकाऊ नहीं रह गया है।
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Gold Loan मार्केट में उछाल
जहां गोल्ड बॉन्ड स्कीम मुश्किलों का सामना कर रही है, वहीं Gold Loan मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय परिवारों के पास भारी मात्रा में सोना है, जिसका इस्तेमाल लोग अब अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 के दौरान गोल्ड लोन का संस्थागत बाजार ₹1,01000 करोड़ तक पहुंच गया है।
Gold Loan लेना एक सरल प्रक्रिया है, जिसमें लोग अपना सोना बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों में गिरवी रखकर लोन प्राप्त कर सकते हैं। यह लोन अक्सर कम ब्याज दरों पर मिलता है और इसे जल्दी चुकाना भी आसान होता है। इसलिए लोग अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए Gold Loan की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
Gold Loan मार्केट की भविष्य की स्थिति
एक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले 5 सालों में गोल्ड लोन मार्केट दोगुना होकर ₹1,19,000 करोड़ तक पहुंच सकता है। Gold Loan की ग्रोथ में यह बढ़ोतरी इसलिए हो रही है क्योंकि लोग अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए गोल्ड के बदले लोन लेने से नहीं हिचकिचा रहे हैं। गोल्ड लोन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण कई नए वित्तीय संस्थान और NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) भी इस बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।
लेकिन साथ ही, इस बाजार में नियामकीय सख्ती भी बढ़ गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने NBFC को Gold Loan के तौर पर ₹2 लाख से ज्यादा कैश न देने का निर्देश दिया है। इससे गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, साथ ही ग्राहकों के लिए नई चुनौतियां भी खड़ी हो सकती हैं।
सोने की कीमतों का असर
Gold Loan मार्केट में तेजी के बावजूद, सोने की कीमतों में तेज उछाल ने लोन देने वाली संस्थाओं को सतर्क कर दिया है। 2023-24 में सोने की कीमतों में तेज उछाल से ब्याज दरों में बदलाव हो सकता है। ऋण मूल्यांकन पर भी असर पड़ सकता है क्योंकि ऋणदाताओं को सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव का डर है।
इसलिए, आने वाले वर्षों में गोल्ड लोन बाजार में उतार-चढ़ाव रहने की संभावना है। Gold Loan कंपनियों को विनियामक परिवर्तनों और बाजार की स्थितियों के अनुसार अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है।
भारतीय घरों में सोने का महत्व
भारत में सोने को हमेशा से एक महत्वपूर्ण संपत्ति के रूप में देखा जाता रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय घरों में लगभग 25,000 टन सोना है, जिसका वर्तमान मूल्य लगभग ₹126 लाख करोड़ है। यह सोना पारंपरिक रूप से शादियों, त्योहारों और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर खरीदा जाता है।
अब, यह सोना लोगों के लिए एक सुरक्षित ऋण विकल्प बन गया है। Gold Loan के माध्यम से लोग अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं, चाहे वह शिक्षा हो, व्यवसाय हो या कोई अन्य आकांक्षा। इस कारण से, गोल्ड लोन बाजार में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
निष्कर्ष
गोल्ड बॉन्ड योजना का बंद होना और Gold Loan बाजार का बढ़ना, ये दोनों ही घटनाएँ भारतीय वित्तीय बाजार में बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही हैं। एक तरफ जहां सरकार गोल्ड बॉन्ड स्कीम को जारी नहीं रख पा रही है, वहीं दूसरी तरफ लोग Gold Loan का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। आने वाले समय में नियामकीय बदलाव और सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव इस बाजार को और भी ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं।
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