जानिए आखिर क्यों Gold वापस लाया जा रहा है?

Gold एक ऐसी चीज़ है जो हमारे घरों में हमारे पूर्वजों से चली आ रही है। तब से ही सोना एक अच्छा निवेश माना जाता है। जब भी हमारे घर या परिवार में शादी या कोई फंक्शन होता है तो सोना तोहफे में दिया जाता है। अगर कोई त्यौहार होता है तो महिलाएँ उस त्यौहार पर ज़्यादातर Gold पहनना पसंद करती हैं। और देखा गया है कि महिलाओं का सबसे पसंदीदा जेवर सोने से बना होता है।

Gold हमारे देश की अर्थव्यवस्था का भी एक आधार माना जाता है और अभी कुछ दिन पहले ही करीब 100 टन सोना विदेश से भारत लाया गया है और ये काम RBI के नेतृत्व में हुआ है और इतना सोना लंदन से भारत लाना कोई आसान काम नहीं था। इस काम को करने के लिए कई महीने पहले ही योजना बनाई जा रही थी और इतने दिनों की मेहनत के बाद हमारे देश का सोना हमारे देश में लाया गया और माना जा रहा है कि कुछ समय बाद लंदन से 100 टन Gold और भी भारत लाने की योजना बनाई जा रही है। 

भारतीय Gold लंदन में क्यों रखा गया था?

दरअसल, बात यह है कि बैंक ऑफ लंदन परंपरागत रूप से दुनिया के सभी देशों के केंद्रीय बैंकों के लिए भंडारण करता रहा है। और इसमें हमारा देश भारत भी किसी दूसरे देश से पीछे नहीं है। आजादी के समय से ही भारत का सोना बैंक ऑफ लंदन में रखा जाता रहा है। कुछ समय पहले आरबीआई ने और भी सोना खरीदना शुरू किया था,  और तय किया था कि इसे कहाँ स्टोर करना है। चुकी विदेश बैंक में सोने स्टॉक बढ़ रहा था इसलिए RBI ने यह तय किया किया की कुछ सोने भारत में वापस लाया गया। और कुछ समय बाद देश में 100 टन और सोना लाने की बात चल रही है।

अब हम समझते हैं कि Gold भंडारण से देश को क्या लाभ मिलता है? 

अगर किसी देश की मुद्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर होती है तो उस देश की Gold खरीदने की क्षमता बढ़ जाती है। सोना देश की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखता है। जिस देश के पास जितना ज्यादा सोने का भंडार होता है, उसकी अर्थव्यवस्था उतनी ही मजबूत मानी जाती है।

1991 में जब हमारे देश की अर्थव्यवस्था डूब रही थी और हमारे देश के पास विदेशों से समान आयात करने के लिए पैसे नहीं थे, उस समय सोने को मुद्रा के रूप में रखकर देश की अर्थव्यवस्था को संभाला गया था।

तो चलिए अब जानते हैं कि किस देश के पास कितना Gold है और भारत किस नंबर पर है? 

  1. अमेरिका – 8133 टन
  2. जर्मनी    – 3352 टन
  3. इटली    –  2451 टन
  4. फ्रांस      – 2436 टन
  5. रूस     –  2332 टन
  6. चीन      – 2262 टन
  7. स्विट्जरलैंड– 1040 टन
  8. जापान   – 845 टन
  9. भारत    – 822 टन
  10. निथरलैंड –612 टन

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