Shikhar Dhawan भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक धाकड़ ओपनर के तौर पर जाने जाते हैं। हाल ही में Shikhar Dhawan ने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट को अलविदा कह दिया है और लीजेंड्स लीग में खेलने की बात कही है। उनके संन्यास के फैसले पर क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों के बीच चर्चा चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है- क्या Shikhar Dhawan ने अपने संन्यास का फैसला मजबूरी में लिया, या यह उनका खुद का फैसला था? इस मुद्दे पर सुनील गावस्कर जैसे महान खिलाड़ी ने अपनी राय दी है, जिसने चर्चा को और भी दिलचस्प बना दिया है।
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शिखर धवन की क्रिकेट यात्रा
Shikhar Dhawan का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर 2010 में शुरू हुआ था। उन्होंने 34 टेस्ट, 167 वनडे और 68 टी20 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और कुल 12,286 रन बनाए। उनकी बल्लेबाजी शैली अनोखी थी और उन्होंने अकेले दम पर भारत को कई महत्वपूर्ण मैच जिताए। आईसीसी टूर्नामेंट में Shikhar Dhawan की मौजूदगी हमेशा अहम रही है, जहां उन्होंने अक्सर रोहित शर्मा और विराट कोहली के साथ मिलकर शानदार प्रदर्शन किया है।
संन्यास की घोषणा
Shikhar Dhawan ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच दिसंबर 2022 में खेला था। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपने संन्यास का ऐलान किया। उनके इस फैसले ने क्रिकेट प्रेमियों को भावुक कर दिया। धवन ने अपने वीडियो में कहा कि उन्हें इस बात का दुख नहीं है कि वह अब भारत के लिए नहीं खेल पाएंगे, बल्कि वह अपने करियर की यादों को संजोकर आगे बढ़ेंगे। धवन का यह फैसला क्रिकेट प्रेमियों के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि वह अभी भी अपने खेल में सक्षम थे और उन्हें और मौके मिलने की उम्मीद थी।
सुनील गावस्कर का बयान
जब सुनील गावस्कर से Shikhar Dhawan के संन्यास के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि Shikhar Dhawan को मजबूरी में संन्यास लेना पड़ा। 75 वर्षीय गावस्कर जो खुद भी सलामी बल्लेबाज रह चुके हैं, ने कहा कि वह धवन की स्थिति को समझ सकते हैं। सलामी बल्लेबाज होने के फायदे और नुकसान दोनों हैं। अगर कोई सलामी बल्लेबाज खराब प्रदर्शन करता है तो उसके लिए वापसी करना मुश्किल हो जाता है। गावस्कर ने इस बात पर भी जोर दिया कि Shikhar Dhawan के संन्यास से खेल की चमक पर असर पड़ेगा, क्योंकि मैदान पर धवन जैसे सकारात्मक और मुस्कुराते हुए खिलाड़ी की कमी जरूर खलेगी।
धवन का योगदान और प्रदर्शन
शिखर धवन ने अपने करियर में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। 2013 चैंपियंस ट्रॉफी में सबसे ज़्यादा रन बनाने से लेकर 2015 विश्व कप में उनके शानदार प्रदर्शन तक, भारतीय क्रिकेट में धवन का योगदान अमूल्य रहा है। उनकी बल्लेबाजी शैली और मैदान पर उनकी मौजूदगी हमेशा प्रशंसकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। उन्हें मिस्टर आईसीसी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने कई बार बड़े टूर्नामेंटों में शानदार प्रदर्शन किया है। धवन ने दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में शतक बनाए हैं, जो उनकी बल्लेबाजी की गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके अनुभव को दर्शाता है।
संन्यास के बाद की योजना
हालांकि, धवन ने संन्यास के बाद भी खेल के प्रति अपना प्यार नहीं छोड़ा है। उनकी योजना लीजेंड्स लीग में खेलने की है, जहां उनके प्रशंसक उन्हें फिर से मैदान पर देख सकेंगे। धवन की इस घोषणा से उनके प्रशंसकों में एक नई उम्मीद जगी है। धवन का खेल हमेशा से ही उनके अंदाज और जोश के लिए जाना जाता है और लीजेंड्स लीग में भी वह अपने खेल से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे।
रोहित, विराट और धवन: एक अद्वितीय तिकड़ी
रोहित शर्मा, विराट कोहली और शिखर धवन की तिकड़ी को 2013 से 2019 तक व्हाइट बॉल क्रिकेट में बेजोड़ माना जाता था। तीनों खिलाड़ियों ने लगभग एक ही समय में अपने करियर की शुरुआत की और कई अहम मौकों पर भारतीय क्रिकेट को गौरवान्वित किया। हालांकि, इनमें से धवन सबसे कम लोकप्रिय रहे, लेकिन उनके खेलने का अंदाज और मैदान पर उनका मस्तीभरा अंदाज हमेशा प्रशंसकों के दिलों में रहेगा। धवन का ट्रेडमार्क स्टाइल, जिसमें वह सिर्फ ताली बजाकर अपने अंदाज की तारीफ करते थे, प्रशंसकों को हमेशा याद रहेगा।
निष्कर्ष
शिखर धवन का संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। धवन ने अपने करियर में जो कुछ भी हासिल किया है, वह उन्हें लीजेंड बनाता है। उनका संन्यास मजबूरी में लिया गया हो या नहीं, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि धवन के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। लीजेंड्स लीग में उनकी मौजूदगी उनके प्रशंसकों के लिए एक नई उम्मीद है और हम सभी उनके आने वाले मैचों में भी उनके खेल का लुत्फ़ उठाएंगे।
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