Budget के कठिन शब्दों को सरल भाषा में समझें

 परिचय

न्यूटन के नियम से भी ज़्यादा मुश्किल उस नियम की परिभाषा में इस्तेमाल किए गए शब्द थे, जैसे वेग और गति। Budget के साथ भी कुछ ऐसा ही है। Budget के ज्यादातर शब्द तकनीकी होते हैं और जिसके वजह से ज़्यादातर लोग Budget को समझ नहीं पाते क्योंकि इसमें अंग्रेज़ी का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होता है। इस पहल में हम आपको Budget के कुछ बहुत ही आम लेकिन समझ से परे शब्दों को सरल भाषा में समझाने जा रहे हैं।

पर्सनल इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स

पर्सनल इनकम टैक्स: पर्सनल का मतलब निजी और इनकम का मतलब आय होता है। किसी व्यक्ति की आय पर जो टैक्स लगता है उसे पर्सनल इनकम टैक्स कहते हैं। यह वही टैक्स है जिसका जिक्र Budget के दिन हर न्यूज़ चैनल पर होता है। सरकार हर साल टैक्स लैब बनाती है और तय करती है कि कितनी आय पर कितना टैक्स देना होगा। 

उदाहरण के लिए, अगर आपकी सालाना आय 10 लाख रुपये है और सरकार ने 10% का टैक्स लगाया है, तो आपको 1 लाख रुपये टैक्स के तौर पर चुकाना होगा। कामकाजी लोगों के लिए यह टैक्स समझना थोड़ा आसान है, लेकिन कारोबारी लोगों के लिए इसमें कुछ जटिलताएँ हैं।

कॉरपोरेट टैक्स: यह किसी कंपनी के मुनाफे पर लगाया जाने वाला टैक्स है। भारत में कंपनी और उसके मालिक को दो अलग-अलग इकाई माना जाता है। उदाहरण के लिए, एबीसी इंफ्राटेक नाम की कंपनी ने एक साल में 1000 करोड़ का मुनाफा कमाया। सरकार इस कंपनी पर कॉरपोरेट टैक्स लगाएगी। मान लीजिए कि कॉरपोरेट टैक्स 10% है, तो 100 करोड़ कॉरपोरेट टैक्स के तौर पर सरकार को जाएंगे। इसके बाद बचा हुआ मुनाफा मालिकों में बांट दिया जाएगा और उन पर पर्सनल इनकम टैक्स लगाया जाएगा। 

फिस्कल डेफिसिट (वित्तीय घाटा)

फिस्कल डेफिसिट: डेफिसिट का मतलब होता है कमी। जब सरकार का खर्च उसकी आमदनी से ज्यादा हो जाता है, तो उसे वित्तीय घाटा कहते हैं। 

उदाहरण के लिए, अगर सरकार की कुल आय 27 लाख करोड़ रुपये है और खर्च 45 लाख करोड़ रुपये है, तो घाटा 18 लाख करोड़ रुपये होगा। इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकार कर्ज लेती है।

फिस्कल डेफिसिट को हमेशा जीडीपी के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है ताकि यह कम लगे। उदाहरण के लिए, 17 लाख करोड़ रुपये का घाटा बहुत बड़ा लगता है, लेकिन जब इसे जीडीपी के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है, तो यह 5.9% होता है।

कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत व्यय)

कैपिटल एक्सपेंडिचर: पूंजी का मतलब है निवेश और एक्सपेंडिचर का मतलब खर्च। सरकार द्वारा रेलवे स्टेशन, रोड्स, एयरपोर्ट आदि बनाने में किया गया खर्च कैपिटल एक्सपेंडिचर कहलाता है। 

इसका फायदा यह होता है कि इससे इकॉनमी में तेजी आती है और लोगों की आमदनी भी बढ़ती है। 

उदाहरण के लिए मान लीजिए सरकार हाईवे बनाने के लिए 1000 करोड़ रुपए खर्च करती है। यह पैसा ठेकेदारों, इंजीनियरों, मटेरियल सप्लायरों और मजदूरों में बांटा जाता है। ये लोग अपनी कमाई का 80% हिस्सा खर्च करते हैं, जिससे बाजार में मांग बढ़ती है। इस तरह 1000 करोड़ रुपए के खर्च से अर्थव्यवस्था को 5000 करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है।

कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया

कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया: यह भारत सरकार का सबसे महत्वपूर्ण अकाउंट होता है। इसमें टैक्स, जीएसटी, एक्साइज आदि से आया पैसा जमा होता है। सरकार इसी फंड से अपना खर्च करती है। 

इस फंड से पैसे निकालने के लिए सरकार को लोकसभा से अनुमति लेनी पड़ती है। सरकार एक बार Budget पेश करके पूरे साल के खर्च के लिए अनुमति ले सकती है। अगर सरकार को साल के बीच में फिर से पैसे की जरूरत पड़ती है तो उसे एक बार फिर लोकसभा जाना पड़ता है।

डिसइन्वेस्टमेंट (निवेश हटाना)

डिसइन्वेस्टमेंट: जब सरकार किसी सरकारी कंपनी में अपने हिस्सेदारी को बेचती है, तो उसे डिसइन्वेस्टमेंट कहते हैं। इस पैसे का उपयोग सरकार विभिन्न योजनाओं में कर सकती है या अपने वित्तीय घाटे को कम करने में कर सकती है।

उदाहरण के लिए, अगर सरकार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कुछ शेयर बेचती है, तो उसे जो पैसा मिलेगा, वह उसे किसी योजना में लगा सकती है या फिस्कल डेफिसिट को कम करने में उपयोग कर सकती है। डिसइन्वेस्टमेंट तीन तरह से किया जाता है:

1. मेजॉरिटी डिसइन्वेस्टमेंट: 50% से अधिक हिस्सेदारी को बेच देना।

2. माइनॉरिटी डिसइन्वेस्टमेंट: 50% से कम हिस्सेदारी को बेचना।

3. कंप्लीट डिसइन्वेस्टमेंट: पूरी हिस्सेदारी को बेच देना।

 निष्कर्ष

आशा है कि अब आपको Budget के ये महत्वपूर्ण शब्द सरल भाषा में समझ में आ गए होंगे। Budget के समय इन शब्दों को समझकर आप आसानी से Budget को समझ सकेंगे। हमारे साथ जुड़े रहें और इसी तरह की आसान भाषा में कठिन टॉपिक्स को समझते रहें।

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