परिचय
आज हम Fiscal Deficit यानी फिस्कल डेफिसिट के बारे में बात करेंगे। बजट की चर्चा के दौरान यह टर्म अक्सर सुनाई देता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको सरल भाषा में बताएंगे कि यह वित्तीय घाटा क्या होता है और इसका महत्व क्या है।
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Fiscal Deficit क्या है?
सरल शब्दों में, Fiscal Deficit तब होता है जब किसी देश की सरकार की सालाना कमाई से उसका खर्च ज्यादा होता है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं: मान लीजिए आपकी सालाना कमाई ₹10,00,000 है और आपका सालाना खर्च ₹11,00,000 है। तो आपके खर्च आपकी कमाई से ₹1,00,000 ज्यादा है। इसी प्रकार, जब सरकार की सालाना कमाई से उसका खर्च ज्यादा होता है, तो उसे Fiscal Deficit कहते हैं।
सरकार की कमाई के स्रोत
सरकार को दो मुख्य प्रकार से राजस्व मिलता है:
1. टैक्स रेवेन्यू
2. नॉन-टैक्स रेवेन्यू
टैक्स रेवेन्यू
टैक्स रेवेन्यू को दो भागों में बांटा जा सकता है:
– डायरेक्ट टैक्सेस: इसमें इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, गिफ्ट टैक्स आदि आते हैं।
– इनडायरेक्ट टैक्सेस: इसमें जीएसटी, यूनियन एक्साइज ड्यूटी, कस्टम्स ड्यूटी आदि आते हैं।
नॉन-टैक्स रेवेन्यू
सरकार को नॉन-टैक्स रेवेन्यू भी प्राप्त होता है, जैसे:
– डिविडेंड और प्रॉफिट: पब्लिक सेक्टर की कंपनियों से।
– लाइसेंस फीस: स्पेक्ट्रम की नीलामी से।
– अन्य स्रोत: विभिन्न सरकारी सेवाओं से प्राप्त आय।
सरकार के खर्च
सरकार के खर्च भी दो प्रकार के होते हैं:
1. रेवेन्यू एक्सपेंडिचर
2. कैपिटल एक्सपेंडिचर
रेवेन्यू एक्सपेंडिचर
रेवेन्यू एक्सपेंडिचर में ऐसे खर्च शामिल होते हैं, जिनसे कोई फिजिकल या फाइनेंशियल एसेट तैयार नहीं होता। उदाहरण के लिए:
– सरकारी कर्मचारियों की सैलरी
– सब्सिडी
– ब्याज भुगतान
– प्रशासनिक खर्च
कैपिटल एक्सपेंडिचर
कैपिटल एक्सपेंडिचर में ऐसे खर्च शामिल होते हैं, जिनसे फिजिकल और फाइनेंशियल एसेट्स तैयार होती हैं। उदाहरण के लिए:
– इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
– मशीनरी और उपकरण
– बिल्डिंग और हेल्थ फैसिलिटी
– शिक्षा पर खर्च
Fiscal Deficit का महत्व
Fiscal Deficit एक सामान्य बात है क्योंकि सरकारों के खर्च अमूमन ज्यादा होते हैं। इसे जीडीपी के प्रतिशत और एब्सलूट टर्म दोनों में देखा जा सकता है। 2022-23 के बजट में, फिस्कल डेफिसिट का अनुमान जीडीपी का 6.4% रखा गया है। सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक इसे घटाकर 4.5% पर लाना है।
सरकार Fiscal Deficit की भरपाई कैसे करती है?
जब सरकार का खर्च उसकी कमाई से ज्यादा होता है, तो उसे उधार लेना पड़ता है। यह उधार वह बाजार से लेती है। हालांकि, आम आदमी की तुलना में सरकार के लिए उधार जुटाना आसान होता है।
Fiscal Deficit के नकारात्मक प्रभाव
वित्तीय घाटे के कई नकारात्मक प्रभाव होते हैं:
– महंगाई बढ़ना: घाटे की भरपाई के लिए सरकार नोट छाप सकती है, जिससे महंगाई बढ़ती है।
– ब्याज दरें बढ़ना: अधिक उधारी लेने से ब्याज दरें बढ़ जाती हैं, जिससे कर्ज महंगा होता है।
– राजकोषीय असंतुलन: लगातार बढ़ते घाटे से देश की वित्तीय स्थिति कमजोर होती है।
Fiscal Deficit कम करने के उपाय
Fiscal Deficit कम करने के लिए सरकार को कई उपाय करने चाहिए:
– आर्थिक नीतियों में सुधार: जिससे रोजगार बढ़े और सरकार की कमाई में वृद्धि हो।
– रेवेन्यू एक्सपेंडिचर कम करना: गैर-जरूरी खर्चों को कम करना चाहिए।
– कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाना: इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों पर खर्च बढ़ाना चाहिए, जिससे लंबी अवधि में राजस्व में वृद्धि हो।
निष्कर्ष
Fiscal Deficit देश की वित्तीय सेहत के लिए एक महत्वपूर्ण पैमाना है। इसे नियंत्रित रखना आवश्यक है ताकि देश की अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत बनी रहे। सरकार को अपनी नीतियों में सुधार करना चाहिए और व्यय में संयम बरतना चाहिए।
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