Migraine एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिसमें सर दर्द के साथ उल्टी भी होता है, इस बीमारी में रोशनी,आवाज या गंध से तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है।
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Migraine एक वंशानुगत बीमारी है जो अक्सर फैमिली में चलता रहता है। यह सभी उम्र के लोगों के बीच होता है। माइग्रेन ज्यादातरऔरतों में देखा जाता है। यह बीमारी एक आदमी की अपेक्षा औरतों में 6 गुना ज्यादा होता है। इस बीमारी में सर दर्द के अलावा और भी तकलीफें होती है,जैसे:
Migraine associated symptoms:
- उल्टी का मन होना।
- उल्टी होना।
- आवाज से तकलीफ होना।
- शरीर में शून्यता का आना।
- बोलने में कठिनाई।
- झुनझुनी होना।
Migraine के कंडीशन में सर दर्द काफी ज्यादा हो सकता है जो एक व्यक्ति को विचलित भी कर सकता है। इस बीमारी में सर दर्द सर के पीछे ज्यादा होता है जो गर्दन तक हो सकता है। प्राय: इस बीमारी में सर दर्द के साथ उल्टी होता है या उल्टी का मन करता है।
Migraine का डायग्नोसिस किसी भी व्यक्ति के बताए गए लक्षण के आधार पर किया जाता है। इसके अलावा उसके परिवार में इस तरह की बीमारी का होना भी इस बीमारी की तरफ इशारा करता है। यह Acute भी हो सकता है या Chronic भी हो सकता है और जब यह बीमारी आती है तो आभा के साथ भी आती है या बिना आभा के साथ आती है।
Migraine में व्यक्ति कैसा महसूस करता है
माइग्रेन में सर दर्द कई प्रकार से हो सकता है, जैसे:
- सर दर्द pulsating टाइप का हो सकता है जिसमें सर दर्द ऐसा फील होता है जैसे सर दर्द आ रहा है और जा रहा है।
- सर दर्द throbbing टाइप का हो सकता है जैसे सर दर्द में कोई टीस सा उठ रहा हो।
- सर दर्द perforating नेचर का भी हो सकता है जिसमें ऐसा फील होता है जैसे दर्द अंदर से सर को चीर रहा हो।
- सर दर्द debilitating नेचर का भी हो सकता है जिसमें सर दर्द के साथ-साथ पूरा शरीर काम करना बंद कर देता है।
माइग्रेन सर के एक तरफ भी हो सकता है, या सर के दोनों तरफ भी हो सकता है। यह बीमारी सर के पीछे भी हो सकता है, या सर के पीछे होने के साथ-साथ गर्दन में भी हो सकता है।
माइग्रेन जब भी स्टार्ट होता है पहले सर दर्द हल्का होता है। अगर इसी समय इसका इलाज कर दिया जाए तो यह जल्दी शांत हो जाता है। अगर इलाज जल्दी नहीं किया गया तो यह लंबा भी जा सकता है और इस कंडीशन में सर दर्द एक सप्ताह तक भी रह सकता है। इसीलिए Migraine के पेशेंट को यह सलाह दिया जाता है कि Migraine के अटैक के बाद इसका तुरंत इलाज करवाए।
Migraine Symptoms:
माइग्रेन के अटैक से पहले कुछ लक्षण एक-दो दिन पहले आ जाते हैं। डॉक्टरी भाषा में इसे प्रोड्रोम फेज कहते हैं। इसके निम्नलिखित लक्षण है:
- थकान होना
- चिड़चिड़ापन रहना
- खाने की लालसा
- डिप्रेशन रहना
- जम्हाई आना
- गर्दन में अकड़न
- कमजोरी होना
Migraine with aura: आभा वाले माइग्रेन में आभा प्रोड्रोम के बाद आता है आभा के दौरान निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
- हाथ और पैरों में झुनझुनी होना
- बोलने में कठिनाई होना
- अस्थाई रूप से न बोल पाना
- चमकती आकृतियां दिखना
Acute attack of Migraine: आभा के बाद माइग्रेन का acute attack आता है जिसमें सर दर्द काफी ज्यादा रहता है और काफी तकलीफदायक भी होता है। कभी-कभी माइग्रेन का एक्यूट अटैक आभा के साथ-साथ होता है और यह कुछ दिनों से लेकर सप्ताह तक हो सकता है। इस दौरान निम्नलिखित तकलीफें होती है:
माइग्रेन के लक्षण:
- सर दर्द होना: सर दर्द एक तरफ हो सकता है या दोनों तरफ हो सकता है। सर दर्द सर के आगे हो सकता है या पीछे हो सकता है। सर दर्द के साथ गर्दन में भी दर्द हो सकता है।
- उल्टी का मन करना।
- उल्टी होना।
- रोशनी या आवाज से तकलीफ होना।
- चक्कर आना।
- बेहोशी जैसी स्थिति होना।
माइग्रेन के एक्यूट अटैक के बाद पोस्टड्रोम चरण आता है। इस चरण में मरीज सुस्त रहता है और थका थका रहता है। कुछ लोग इस चरण में उत्साहित भी रहते हैं और खुश रहते हैं। कुछ मरीजों में माइग्रेन का दौरा काफी छोटा होता है जिसमें ऊपर दिए गए फेज आपस में मिले होते हैं और कुछ तकलीफें आती हैं और कुछ तकलीफें नहीं आती है।
Migraine types
Migraine दो प्रकार का होता है आभा वाला माइग्रेन और बिना आभा वाला माइग्रेन। कभी-कभी एक ही व्यक्ति में यह दोनों प्रकार का माइग्रेन देखा गया है।
Migraine without aura:
Migraine से पीड़ित अधिकतर मरीजों को बिना आभा वाला माइग्रेन होता है। यह माइग्रेन बिना इलाज के कुछ घंटे से लेकर 3 दिन तक रह सकता है। इनमें नीचे दिए गए कुछ लक्षण हो सकते हैं। इन लक्षणों को दो कैटेगरी में बांटा गया है।
a). इनमें से दो लक्षण माइग्रेन के पेशेंट में देखे जा सकते हैं
- माइग्रेन सर के एक तरफ रहता है दाएं या बाएं।
- Migraine मध्य या तीव्र गति के दर्द के साथ हो सकता है।
- Migraine pulsating या throbbing नेचर का हो सकता है।
- माइग्रेन चलने फिरने से बढ़ सकता है।
b).इनमें से कम से कम एक लक्षण माइग्रेन के पेशेंट में देखे जाते हैं।
- माइग्रेन के पेशेंट ध्वनि से काफी ज्यादा सेंसिटिव होते हैं।
- माइग्रेन के पेशेंट लाइट से काफी ज्यादा सेंसिटिव होता है।
- माइग्रेन के पेशेंट को उल्टी का मन हो सकता है।
- माइग्रेन का यह अटैक किसी अन्य बीमारी के कारण नहीं आता है।
Migraine with aura
आभा वाला माइग्रेन, माइग्रेन के 25 परसेंट मरीजों में पाया जाता है ।आभा वाले माइग्रेन के मरीजों में नीचे दिए गए लक्षण दिख सकते हैं।
आभा के यह लक्षण आते हैं और हमेशा के लिए चले जाते हैं।
- आंखों की तकलीफ
- बोलने की तकलीफ
- चलने फिरने की तकलीफ
- शरीर या चेहरे के ऊपर शून्यता या झुनझुनी होना
आभा वाला माइग्रेन मैं ब्रेन स्टेम के लक्षण भी दिख सकते हैं।
- बोलने में तकलीफ
- दोहरी दृष्टि का होना।
- चक्कर आना।
- कानों में आवाज का गुंजना।
- शरीर की गतिविधियों को कंट्रोल न कर पाना।
आभा के मरीजों में आप यह लक्षण भी देख सकते हैं।
- आभा धीरे-धीरे 5 मिनट में फैलता है।
- आभा 5 मिनट से लेकर 1 घंटे तक रह सकता है ।
- आभा के लक्षण सर के एक तरफ रह सकता है।
- आभा माइग्रेन अटैक के 1 घंटे से पहले स्टार्ट हो सकता है या साथ में भी हो सकता है।
- आभा किसी और बीमारी के कारण नहीं होता है।
माइग्रेन अटैक क्यों आता है
Migraine causes: हालांकि यह अभी तक सही ढंग से पता नहीं है कि माइग्रेन अटैक क्यों होता है फिर भी कुछ ऐसे कंडीशन है जिसमें माइग्रेन अटैक देखा गया है। उसका बर्णन नीचे दिया जा रहा है:
माइग्रेन के मरीजों में Migraine के ट्रिगर बहुत अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ कुछ रोगियों में माइग्रेन के ट्रिगर होते हैं, जबकि वही खाद्य पदार्थ कुछ अन्य मरीजों में माइग्रेन ट्रिगर का काम नहीं करते हैं।
1. Food additives, जैसे नाइट्रेट, एस्पार्टेम और मोनोसोडियम ग्लूटामेट
2. टायरामाइन, जो कुछ खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है, जैसे कि पनीर, सोया सॉस।
पहले यह माना जाता था कि माइग्रेन में इसका बहुत महत्व है, लेकिन हाल के शोध और अवलोकन बताते हैं कि टायरामाइन उतना बड़ा Migraine ट्रिगर नहीं है जितना पहले सोचा गया था।
इसके अलावा, निम्नलिखित कारण भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं:
- तेज गर्मी में बाहर निकलना
- निचले इलाके से निकलकर पहाड़ी इलाके में जाना
- अत्यधिक तनाव
- रात में जागने के बाद
- तेज रोशनी
- तेज आवाज
- फिजिकल एक्टिविटी
- शराब का सेवन
- सिगरेट पीने पर
- डिहाइड्रेशन होने पर
- कुछ दवाओं के लेने पर
- गन्दी गंध
- महिलाओं में हारमोनियम चेंज के दौरान भी माइग्रेन अटैक देखा गया है
माइग्रेन के उपचार को प्रभावित करने वाले कारक:
- आपका उम्र।
- आपका Migraine कितना गंभीर है।
- आप किस तरह के Migraine से ग्रसित है।
- आपका Migraine कितने दिनों तक रहता है।
- Migraine होने पर उसके साथ और कौन-कौन से लक्षण होते हैं।
- Migraine के अलावा आप किसी अन्य बीमारी से ग्रसित है या नहीं।
Chronic Migraine
यदि किसी व्यक्ति को एक महीने में 15 दिनों से अधिक समय तक माइग्रेन का सिरदर्द रहता है और यह बीमारी 3 महीने से अधिक समय तक रहती है, तो इसे क्रॉनिक माइग्रेन कहा जाता है।
क्रोनिक माइग्रेन आभा के साथ या उसके बिना हो सकता है या दवा के अत्यधिक उपयोग के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा, निम्नलिखित कारणों से भी क्रोनिक माइग्रेन हो सकता है:
- अवसाद
- चिंता
- रक्तचाप जैसी पुरानी बीमारी
- गर्दन की समस्या
Other types of Migraine
Episodic Migraine: अगर माइग्रेन महीने में 14 दिन तक होता है, तो इस स्थिति को एपिसोडिक माइग्रेन कहते हैं। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि एपिसोडिक माइग्रेन में माइग्रेन के हमले क्रोनिक माइग्रेन की तुलना में कम बार होते हैं।
Vestibular Migraine: जब माइग्रेन के मरीज को चक्कर या चक्कर जैसा महसूस होता है, तो इस स्थिति को वेस्टिबुलर माइग्रेन कहा जाता है।
Hormonal migraine: इसे मासिक धर्म माइग्रेन भी कहा जाता है। अगर किसी महिला को मासिक धर्म या उससे जुड़ी कोई स्थिति के दौरान सिरदर्द महसूस होती है, तो उसे हार्मोनल माइग्रेन कहा जाता है। यह एस्ट्रोजन की कमी के कारण होता है।
Silent migraine:अगर किसी व्यक्ति को सिरदर्द के बिना सिर्फ़ आभा महसूस होती है, तो इस स्थिति को साइलेंट माइग्रेन कहते हैं। इस तरह का माइग्रेन उन लोगों में होता है जिन्हें 40 की उम्र के बाद पहली बार माइग्रेन होता है।
Migraine Diagnosis
डॉक्टर मरीज़ का इतिहास, पारिवारिक इतिहास या शारीरिक परीक्षण करके माइग्रेन का निदान करते हैं। अगर परिवार में पहले से ही माइग्रेन है, तो इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। शारीरिक परीक्षण के ज़रिए यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि कहीं कोई और बीमारी तो पहले से मौजूद नहीं है जिसकी वजह से माइग्रेन हो सकता है। ऐसे मरीजों में निम्नलिखित लैब टेस्ट भी करवाए जा सकते हैं, जैसे एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन। इसके अलावा रूटीन टेस्ट भी करवाए जा सकते हैं।
Migraine treatment
Migraine को जड़ से नहीं खत्म किया जा सकता है लेकिन इसके प्रॉपर इलाज से किसी भी मरीज का तकलीफ कम किया जा सकता है। दवाइयां के अलावा हमें वह सारे कारक का पता करना होगा जिसके कारण माइग्रेन का अटैक आता है और उन कारणों को हटाना होगा और अपनी लाइफ स्टाइल में चेंज भी करनी होगी।
(a)Treatment of acute migraine attack.
माइग्रेन के एक्यूट अटैक आने पर हमें उनके उनके लक्षणों के अनुसार इसका ट्रीटमेंट करना होता है।
- NSAIDs: NSAID जैसी दवाएँ जैसे Naproxen, Ibuprofen इत्यादि का उपयोग हम सर दर्द को कम करने के लिए करते हैं।
- Triptans: इसमें Sumatriptan जैसी दवाएँ का उपयोग करते हैं।
- Antiemetics: उल्टी होने पर उल्टी होने की दवाई जैसे Domperidone का इस्तेमाल करते हैं।
- Antacids: अगर हार्टबर्न जैसी कोई तकलीफ है तो हम साथ में एक Antacids जैसे Pantaprazole का इस्तेमाल करते हैं।
(b) Treatment of chronic migraine.
माइग्रेन के वैसे मैरिज जिसमे माइग्रेन का अटैक महीने में चार बार से ज्यादा आता है, उनके लिए ऐसी दावों का उपयोग किया जाता है जिससे कि माइग्रेन का अटैक नहीं आए।
- Antidepressant: एंटी डिप्रेशन के अंदर Flunarizine, Amitryptalline या Nortryptalline दवाएँ का इस्तेमाल किया जाता है।
- Antihypertensive: ब्लड प्रेशर की कुछ दवाएं माइग्रेन के लिए भी फायदेमंद पाई गई हैं।
- Anticonvulsants: माइग्रेन के कुछ मरीजों में anticonvulsants दवाइयां भी दी जाती है।
(c) Migraine Vomiting Treatment।
माइग्रेन के मरीज में माइग्रेन अटैक के बाद उल्टी करने की इच्छा को Migraine nausea कहते हैं। उल्टी होने पर उल्टी होने की दवाई जैसे Chlorpromazine, Domperidone का इस्तेमाल करते हैं।
(d) हार्मोनल थेरेपी: अगर माइग्रेन हार्मोनल इंबैलेंस के कारण हो रहा है।
हार्मोनल गड़बड़ी के कारण भी माइग्रेन होता है। अगर एस्ट्रोजन का लेवल गिरता है तो इस स्थिति में माइग्रेन का अटैक आ सकता है। खासकर महिलयों में माइग्रेन का एक कारण हार्मोनल गड़बड़ी है। इस स्थिति में माइग्रेन के साथ साथ एस्ट्रोजन ट्रीटमेंट लाभदायक होता है।
(e) माइग्रेन के कारणों का पता करना और उसको रोकना।
माइग्रेन के उपचार में उसके कारणों का पता करना एक महत्बपूर्ण कड़ी है। ऊपर दिये गये कारणों का निदान से माइग्रेन को लंबे बक्त तक बिना दवयों के रहा जा सकता है।
(f) लाइफ़स्टाइल परिवर्तन और योगा।
अगर हम माइग्रेन के कारणों को ध्यान से देखें तो यह तनाव, शारीरिक परिश्रम और देर रात तक जागने के कारण होता है। अगर हम जीवनशैली में बदलाव के जरिए इन कारणों को ठीक कर लें तो माइग्रेन को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। तनाव कम करने के लिए योग एक अच्छा तरीका हो सकता है। जीवनशैली में बदलाव के जरिए हम शराब और सिगरेट छोड़ सकते हैं और उचित खान-पान के जरिए माइग्रेन से छुटकारा पा सकते हैं।
Prevention of Migraine
माइग्रेन के कारणों की पहचान करना इसके उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वैसे तो यह पूरी तरह से नहीं जाना जा सका है कि माइग्रेन क्यों होता है, लेकिन ऐसे कई कारण हैं जिन्हें अगर अपनी ज़िंदगी से निकाल दिया जाए तो माइग्रेन होने की संभावना कम हो जाती है।
- अगर किसी खाने की वजह से माइग्रेन अटैक आने की संभावना है तो आप ऐसे खाद्य पदार्थों जैसे पनीर, सोया सॉस आदि को अपने से दूर रख सकते हैं।
- गर्मी के दिनों में तेज धूप में बाहर निकलने से डिहाइड्रेशन होने की संभावना रहती है। अगर ऐसी स्थिति में आपका माइग्रेन बढ़ जाता है तो आप या तो इससे बच सकते हैं या फिर खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखकर Migraine को दूर रख सकते हैं।
- निचले इलाके से पहाड़ी इलाके में जाने पर ऊंचाई में बदलाव होता है, जिससे Migraine अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ऊंचाई में बदलाव से बचना चाहिए। अगर आप सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो बीच-बीच में रुकें, जिससे आपका शरीर altitude के हिसाब से ढल जाएगा और माइग्रेन होने की संभावना कई गुना कम हो जाएगी।
- डिप्रेशन के मरीजों में माइग्रेन अटैक आने की संभावना ज्यादा देखी गई है, इसलिए तनाव और डिप्रेशन से दूर रहें। तनाव रहित जीवन के लिए योग का अभ्यास करें।
- माइग्रेन के पेशेंट में ऐसा देखा गया है कि रात में जागने के कारण या नींद पूरी नहीं होने के कारण माइग्रेन का अटैक होने का चांस ज्यादा होता है । Migraine के मरीजों को पर्याप्त नींद लेने और अपने सोने के समय को सही रखने की सलाह दी जाती है।
- तेज़ रोशनी या तेज़ आवाज़ भी माइग्रेन के अटैक का कारण बन सकती है। इसलिए Migraine के मरीजों को ऐसे माहौल से दूर रहना चाहिए।
- माइग्रेन के मरीजों में देखा गया है कि शराब या सिगरेट से Migraine का अटैक शुरू हो जाता है। इसलिए माइग्रेन के मरीजों को इनका सेवन वर्जित है।
Disclaimer
यदि आपको माइग्रेन या माइग्रेन जैसा कोई लक्षण महसूस हो रहा है तो आपको अपने नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यह ब्लॉग पोस्ट आपकी जानकारी के लिए लिखा गया है। यहां आपको बता दें कि यह पोस्ट एक डॉक्टर द्वारा लिखी गई है, फिर भी आपको सलाह दी जाती है कि आप अपनी समस्या किसी नजदीकी डॉक्टर को दिखाएं और उसके बाद ही उपचार लें।
माइग्रेन क्या है?
माइग्रेन एक ऐसा सिरदर्द है जो आमतौर पर सिर के एक तरफ तेज throbbing या pulsating सिरदर्द है।
माइग्रेन को हमेशा के लिए कैसे ठीक करें?
Migraine का कोई स्थायी इलाज नहीं है, हालाँकि, ब्लॉग पोस्ट में बताए गए निवारक उपाय करके पीड़ा को कम किया जा सकता है।
माइग्रेन क्यों होता है?
Migraine के सटीक कारणों का पता नहीं है, हालांकि माइग्रेन को ट्रिगर करने वाले ज्ञात कारणों में पनीर, सोया सॉस जैसे कुछ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, शराब पीना, विशेष रूप से रेड वाइन, बहुत अधिक कैफीन पीना, तनाव, नींद के पैटर्न में बदलाव, संवेदी उत्तेजना जैसे चमकदार रोशनी या मजबूत गंध या भोजन छोड़ना शामिल हैं।
माइग्रेन का इलाज कैसे करें?
तुरंत राहत के लिए नेप्रोक्सन 250 मिलीग्राम की गोली लें और तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
माइग्रेन के लक्षण क्या हैं?
आपके सिर के एक तरफ या दोनों तरफ throbbing or pulsating दर्द होना और मतली या उल्टी होना माइग्रेन का मुख्य लक्षण है।
माइग्रेन के लिए सबसे अच्छा उपचार क्या है?
Sumatriptan 50 mg और Naproxen 500 mg की गोली लेने से माइग्रेन के अधिकांश मामलों में आपका सिरदर्द तुरंत कम हो जाएगा, हालांकि स्व-उपचार हमेशा हतोत्साहित किया जाता है और एक चिकित्सक से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
माइग्रेन के लिए किस डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए?
माइग्रेन के लिए एक सामान्य चिकित्सक(MBBS/MD Medicine) से परामर्श करना काफी अच्छा है, हालांकि मुश्किल मामलों के लिए neurophysician सबसे अच्छा है।
माइग्रेन से कैसे छुटकारा पाएं?
माइग्रेन के ट्रिगर्स को दूर करके आप पीड़ा को कम कर सकते हैं, जैसे कि खुद को हाइड्रेटेड रखें, अच्छी नींद लें, योग का अभ्यास करें, शराब और सिगरेट से दूर रहें, पनीर और सोया सॉस जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज करें आदि।
माइग्रेन का निदान कैसे करें?
डॉक्टर मरीज का इतिहास, पारिवारिक इतिहास या शारीरिक परीक्षण करके Migraine का निदान करते हैं। अगर परिवार में पहले से ही माइग्रेन है, तो इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। शारीरिक परीक्षण के ज़रिए यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि कहीं कोई और बीमारी पहले से तो मौजूद नहीं है, जो माइग्रेन का कारण बन सकती है। ऐसे मरीजों में निम्नलिखित लैब टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जैसे एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन। इसके अलावा रूटीन टेस्ट भी किए जा सकते हैं।
घर पर माइग्रेन सिरदर्द का इलाज कैसे करें?
लाइट बंद कर दें, रोगी को ठंडे वातावरण में रखें और बिस्तर पर आराम करने की सलाह दें। हालांकि, दर्द से तुरंत निपटने के लिए डॉक्टर से मिलना सबसे अच्छा है।
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