Debit card: डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त उछाल देखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ के विजन के तहत देश ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। इस अभियान का असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। अगर हम वैश्विक स्तर पर डिजिटल भुगतान में भारत की स्थिति को देखें, तो हमारे देश की हिस्सेदारी 40% है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, जिसे इस दिशा में देश की तेजी से बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
लेकिन अगर बात करें भारत के अंदर डिजिटल भुगतान के परिदृश्य की, तो यहां यूपीआई (Unified Payments Interface) की भूमिका अविस्मरणीय है। वर्तमान में, भारत में होने वाले कुल डिजिटल लेन-देन में UPI की हिस्सेदारी 80% से अधिक है। इसका मतलब यह है कि भारत के आधे से ज्यादा लोग UPI का इस्तेमाल अपने रोज़मर्रा के लेन-देन के लिए कर रहे हैं।
UPI के नए फीचर से Debit card का खात्मा संभव
अभी हाल ही में एक और बड़ी खबर सामने आई है, जो UPI की शक्ति को और बढ़ा सकती है। अब UPI के जरिए ATM से पैसे निकाले जा सकते हैं। यह सुविधा न सिर्फ लोगों को डिजिटल पेमेंट की दिशा में और अधिक सहज बनाएगी, बल्कि यह Debit card के उपयोग को भी चुनौती दे सकती है।
Debit card के उपयोग में पिछले कुछ सालों में गिरावट देखी गई है, लेकिन अब जब UPI को लगभग हर तरह के रिटेल भुगतान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, तो इससे Debit card पर निर्भरता और भी कम हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2024 में मर्चेंट पेमेंट्स में Debit card के स्वाइप की संख्या 312 मिलियन से घटकर 144 मिलियन रह गई है। इस आंकड़े से साफ है कि आने वाले समय में यह गिरावट और तेज हो सकती है।
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UPI की बढ़ती लोकप्रियता और नए फीचर्स
यूपीआई के नए फीचर्स इसे एक ‘यूनिवर्सल रिटेल पेमेंट टूल’ बना रहे हैं। NPCI (National Payments Corporation of India) का लक्ष्य इसे हर प्रकार के लेनदेन के लिए उपयुक्त बनाना है, चाहे वह छोटे व्यापारी हों या बड़े रिटेल स्टोर्स। इससे न सिर्फ Debit card का उपयोग कम होगा, बल्कि बैंकों को भी Debit card जारी करने और मेंटेन करने में होने वाले खर्च में कटौती होगी।
UPI की लोकप्रियता का कारण इसका उपयोग में सरल होना है। इसे इस्तेमाल करने के लिए न तो किसी विशेष कार्ड की जरूरत होती है और न ही लंबी प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है। QR कोड को स्कैन करके या सीधे मोबाइल नंबर से ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। यही वजह है कि लोग UPI को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना रहे हैं।
Debit card का भविष्य: एक नजर
अगर हम पूरे परिदृश्य को ध्यान से देखें, तो साफ है कि Debit card का उपयोग तेजी से कम हो रहा है। यूपीआई ने डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक मजबूत जगह बना ली है, और अब जब UPI के जरिए ATM से पैसे निकाले जा सकते हैं, तो Debit card की जरूरत और भी कम हो जाएगी। RBI के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि मर्चेंट पेमेंट्स में Debit card का उपयोग तेजी से घट रहा है।
हालांकि, यह भी सच है कि बैंकों ने अब क्रेडिट कार्ड पर जोर देना शुरू कर दिया है। क्रेडिट कार्ड के लिए बैंकों ने रिवार्ड्स और कैशबैक जैसी योजनाएं शुरू की हैं, ताकि ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड की ओर आकर्षित किया जा सके। ऐसे में, क्रेडिट कार्ड का उपयोग बढ़ सकता है, लेकिन Debit card की स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है।
UPI के भविष्य की ओर एक कदम
भारत का डिजिटल भुगतान का सफर अभी बहुत लंबा है, लेकिन UPI ने इस यात्रा को तेज गति दे दी है। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार और NPCI लगातार प्रयासरत हैं। UPI के जरिए न केवल रिटेल भुगतान को आसान बनाया जा रहा है, बल्कि अब इसे हर प्रकार के वित्तीय लेन-देन में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार किया जा रहा है।
निष्कर्ष: भारत के डिजिटल भविष्य की दिशा
डिजिटल भुगतान की दिशा में भारत ने जो कदम उठाए हैं, वे न केवल देश को आर्थिक रूप से मजबूत बना रहे हैं, बल्कि डिजिटलाइजेशन की दिशा में भी एक नया मुकाम हासिल कर रहे हैं। UPI का नया फीचर न केवल लोगों के जीवन को आसान बनाएगा, बल्कि यह वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा देगा।
इस पूरे परिदृश्य में Debit card की स्थिति कमजोर होती जा रही है, जबकि UPI अपनी जगह मजबूत कर रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वर्षों में UPI भारतीय डिजिटल भुगतान प्रणाली का सबसे बड़ा स्तंभ बनेगा।
आपकी राय:
UPI और डिजिटल पेमेंट्स के इस उभरते हुए दौर में आपकी क्या राय है? क्या आप मानते हैं कि Debit card की जगह UPI भविष्य में पूरी तरह से ले लेगा? या फिर क्रेडिट कार्ड और Debit card अभी भी महत्वपूर्ण बने रहेंगे?