शेयर बाजार में Future and Option को लेकर हलचल

शेयर बाजार में इस समय सबसे ज्यादा हलचल Future and Option ट्रेडिंग में देखने को मिल रही है।, जिसे F&O ट्रेडिंग कहा जाता है, लोग इसके बारे में तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। क्या इस पर कोई बड़ा फैसला होने वाला है? क्या सरकार बजट में Future and Option ट्रेडिंग पर भारी टैक्स लगाएगी या सेबी इसमें ट्रेडिंग पर रोक लगाएगी? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि 2015 में रिजर्व बैंक ने भी डेरिवेटिव में बड़े कारोबार पर चिंता जताई थी और कहा था कि सेबी इस पर नजर रख रही है।

पूरी बातें जानने के इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें। सेबी ने एफएओ ट्रेडिंग को कैसे नियंत्रित किया जाए, इस पर एक विशेषज्ञ कार्य समूह बनाया है और पूरे व्यापार पर कड़ी नजर रख रही है। हर कोई इस बारे में बार-बार चेतावनी दे रहा है। सेबी ने निवेशकों को पहले ही बताया है कि डेरिवेटिव में निवेश करने वाले हर 10 में से 9  निवेशकों को घाटा होता है। इस महीने की शुरुआत में सेबी ने एफएओ सेगमेंट में शेयरों का चयन कैसे करें, इस पर एक चर्चा पत्र जारी किया था। माना जा रहा है कि एफएओ सेगमेंट में एंट्री के लिए शेयरों के चयन के मानदंड काफी सख्त किए जा सकते हैं।

लेकिन अब Future and Option ट्रेडिंग को लेकर एक और बड़ी खबर आ रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अब एफएओ ट्रेडिंग में निवेशकों के रिस्क प्रोफाइल की भी जांच की जाएगी। इसका क्या मतलब है? तो इसका मतलब यह है कि शेयर बाजार में सबसे ज्यादा जोखिम भरे माने जाने वाले फ्यूचर्स और ऑप्शंस में यह देखा जाएगा कि आपकी जोखिम उठाने की क्षमता कितनी है। दरअसल, निवेशकों को सुरक्षा देने और बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए सेबी का वर्किंग ग्रुप इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या इस कारोबार के लिए कोई नियम बनाए जाएं। इसके तहत यह देखा जा रहा है कि क्या ऐसे नियम लाए जा सकते हैं जिसमें किसी ट्रेडर की ट्रेडिंग लिमिट उसके रिस्क प्रोफाइल के आधार पर तय की जा सके। इतना ही नहीं, ट्रेडर की नेटवर्थ और ट्रेडिंग के पैमाने जैसे अन्य फैक्टर्स की भी जांच की जाएगी और इसके बाद किसी व्यक्ति के Future and Option ट्रेड की लिमिट तय की जाएगी।

क्यों कि जा रही है सेवी द्वारा वर्किंग ग्रुप का गठन?

इस ग्रुप की अध्यक्षता आरबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक श्री पद्म भान करेंगे। इसके साथ ही इसमें सभी कैटेगरी के मार्केट पार्टिसिपेंट्स के लोग होंगे, जिनमें स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर हाउस और उद्योग संगठनों के लोग शामिल होंगे। इस वर्किंग ग्रुप के लिए संदर्भ की शर्तों में कुछ ऐसी बातें भी शामिल हैं, जो 2017 में डिडक्शन पेपर में कही गई थीं और इसका शीर्षक था भारत में इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट की ग्रोथ और विकास पर चर्चा पत्र। इस पेपर के जरिए एफएओ ट्रेडिंग पर चर्चा की गई थी। इसमें ट्रेडिंग करने वाले व्यक्तियों की प्रोफाइल, उनकी जोखिम उठाने की क्षमता समेत तमाम बातों पर फीडबैक लेने की बात कही गई थी। सभी को शक है कि एफएओ सेगमेंट में काफी सट्टा चल रहा है और लोग इसके जोखिमों को बिना जाने जल्दी पैसा बनाने के लिए इसमें प्रवेश कर रहे हैं। इसीलिए अब हर कोई इस ट्रेड में लोगों के प्रवेश पर रोक लगाना चाहता है।

 सेबी बोर्ड द्वारा की गई  मीटिंग

27 जून को सेबी बोर्ड की मीटिंग भी है, जिसमें कई अन्य चीजों के साथ-साथ Future and Option ट्रेड पर प्रतिबंधों पर भी विचार किया जा सकता है। भारतीय बाजारों में एफएओ का वॉल्यूम दुनिया भर के इक्विटी वॉल्यूम का 80% से अधिक है और इससे अप्रैल 2024 में Future and Option सेगमेंट में भारी सट्टेबाजी चलने का संदेह भी पैदा हो रहा है। एनएसई पर करीब 849.4 करोड़ कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार हुआ, जिसमें से ज्यादातर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट थे। दूसरी ओर, इसी अवधि में बीएसई पर 22.4 करोड़ कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार हुआ। अगर इसका वैश्विक वॉल्यूम देखें तो यह 13255 करोड़ कॉन्ट्रैक्ट था और इसमें भारतीय एक्सचेंजों की हिस्सेदारी करीब 81% थी।

 सेवी द्वारा निकले गए Future and Option सेगमेंट के आंकड़े

Future and Option सेगमेंट के आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ पता चलता है कि आम निवेशक डेरिवेटिव में निवेश को लेकर किस तरह पागल हो रहे हैं। मार्च 2024 में एफएनओ सेगमेंट का मासिक कारोबार 8740 लाख करोड़ था। मार्च 2019 में यह आंकड़ा महज 270 लाख करोड़ था। इक्विटी कैश सेगमेंट की बात करें तो यहां औसत दैनिक कारोबार ₹ लाख करोड़ रहा, जबकि एफएओ सेगमेंट में औसत दैनिक कारोबार करीब 3330 लाख करोड़ रुपए रहा। इससे पता चलता है कि निवेशक किस तरह से डेरिवेटिव में अंधाधुंध निवेश कर रहे हैं। कुल मिलाकर Future and Option ट्रेड पर रोक लगाने की तैयारी है ताकि देश के आम निवेशकों को भारी नुकसान से बचाया जा सके।

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